Ka Sovai Din Rain (का सोवै दिन रैन)
- प्रेम एक रहस्य है। सबसे बड़ा रहस्य ! रहस्यों का रहस्य !
- प्रेम से ही बना है अस्तित्व और प्रेम से ही समझ में आता है। प्रेम से ही हम उतरे हैं जगत में और प्रेम की सीढ़ी से ही हम जगत के पार जा सकते हैं। प्रेम को जिसने समझा उसने परमात्मा को समझा। और जो प्रेम से वंचित रहा वह परमात्मा की लाख बात करे, बात ही रहेगी, परमात्मा उसके अनुभव में न आ सकेगा। प्रेम परमात्मा को अनुभव करने का द्वार है। प्रेम आंख है।
- मोहब्बत एक राज है -- एक भेद, एक कुंजी -- जिससे अस्तित्व के सारे ताले खुल जाते हैं।. . .
- पे्रम एक क्रांति है, क्योंकि तुम उठने लगते हो -- जीवन की क्षुद्रता से विराट की तरफ; सीमा से असीम की तरफ।
- ~ ओशो
- notes
- This is the second series of Osho's talks on Dharmadas, the chief disciple of Kabir. The first was Jas Panihar Dhare Sir Gagar (जस पनिहार धरे सिर गागर), given two months earlier. There are six sutra discourses and five Q & A. See discussion for a TOC and stuff about editions, etc.
- time period of Osho's original talks/writings
- Mar 31, 1978 to Apr 10, 1978 : timeline
- number of discourses/chapters
- 11
editions
Ka Sovai Din Rain (का सोवै दिन रैन)
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Ka Sovai Din Rain (का सोवै दिन रैन)धरमदास-वाणी पर प्रवचन (Dharamdas-Vani Par Pravachan)
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