Uttardayitav (उत्तरदायित्व)

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सत्‍य की व्‍यक्तिगत खोज से लेकर ज्‍वलंत सामाजिक व राजनैतिक प्रश्‍नों पर ओशो की दृष्टि उनको हर श्रेणी से अलग अपनी कोटि आप बना देती है। उन्‍होंने ध्‍यान की ऐसी विधियां प्रस्‍तुत की है जो आज के गतिशील जीवन को ध्‍यान में रखकर बनाई गई हैं। ओशो के सक्रिय ध्‍यान इस तरह बनाए गए हैं कि शरीर और मन में इकट्ठे तनावों से मुक्‍त हुआ जा सके। इन्‍हीं सक्रिय ध्‍यान पर आधारित यह सीरीज है। एकमात्र समस्‍या, अहिंसा, प्रेम और विवाह, मेडिसन और मेडिटेशन, तृष्‍णा, युवक और यौन, शरीर मन संतुलन, प्रेम का अर्थ, श्रेष्‍ठ कौन, जीवन मृत्‍यु, उत्‍त्‍ादायित्‍व
notes
Originally published as ch.124 of Tao Upanishad, Bhag 6 (ताओ उपनिषद, भाग छह).
time period of Osho's original talks/writings
(unknown)
number of discourses/chapters
1


editions

Uttardayitav (उत्तरदायित्व)

जीवन की हर समस्या के लिए कौन है उत्तरदायी : दूसरे या हम स्वयं?

Year of publication : 2006
Publisher : Fusion Books
ISBN 81-8419-126-X (click ISBN to buy online)
Number of pages : 56
Hardcover / Paperback / Ebook : P
Edition notes :