Talk:Prem Ki Jheel Mein Anugrah Ke Phool (प्रेम की झील में अनुग्रह के फूल)
The dates 1963-1971 suggested for these letters are mentioned by Neeten in the Appendix section of his Osho Source Book. -- doofus-9 02:41, 20 January 2017 (UTC)
TOC:
- 1. जन्म-दिवस संदेश--‘द्विज बनो’
- 2. सम्यक विचार से जीवन में क्रांति
- 3. ज्वलंत प्यास है द्वार--समाधि का
- 4. प्रेम मुक्ति है और मोह--बंधन
- 5. भीतर छिपी अनंत शांति और साम्राज्य की खोज
- 6. प्रकाश किरण का अनुगमन--मूल स्रोत तक
- 7. स्वयं से मिलन ही योग है
- 8. शून्यता है द्वार--अमृत का
- 9. शाश्वत आनंद के राज्य में प्रतिष्ठा
- 10. अमृत-पाथेय
- 11. आनंद है--निर्विचार स्व-प्रतिष्ठा में
- 12. साधना की हवायें और मन की धूल
- 13. वर्तमान में जीना अदभुत आनंद है
- 14. ध्यान से खुलना--अंतस चक्षु का
- 15. आनंद और संगीत--अकेलेपन का
- 16. मिटना है मार्ग
- 17. ध्यान के बीज से सत्य-जीवन का अंकुरण
- 18. जीवन-संघर्ष के बीच फलित--सम्यक शांति
- 19. निष्प्रश्न चित्त में सत्य का आविर्भाव
- 20. उत्तर न खोज--प्रश्नों के साथ ही जी
- 21. सरोवर का किनारा--और जन्मों-जन्मों की प्यास
- 22. जागरूकता से जन्म--प्रेम का
- 23. ध्यान पाया, तो सब पा लिया
- 24. जीत की आकांक्षा में ही छिपी है हार
- 25. ‘मैं मन हूं’--इस भ्रम से मुक्ति
- 26. प्रत्येक स्थिति है--अतिक्रमण की संभावना
- 27. अनकहे शब्द और अनगाए गीत
- 28. निष्प्रयोजनता का सौंदर्य
- 29. समझौता न करें--विचार स्वातंत्र्य के लिए लड़ें
- 30. कुण्डलिनी-ऊर्जा का ऊर्ध्वगमन
- 31. पूर्ण होने का विज्ञान है--शून्य हो जाना
- 32. आलौकिक अनुभवों की वर्षा--कुण्डलिनी जागरण पर
- 33. मौन-प्रवचन
- 34. शून्य के स्वर
- 35. शब्दहीन संवाद में दीक्षा
- 36. संसार और संन्यास में द्वैत नहीं है
- 37. दीये की ज्योति का एक हो जाना--महासूर्य से
- 38. अब अवसर आ गया है, इसलिए पुकारता हूं
- 39. जिसने स्वयं को जाना, वह आलोक से भर जाता है
- 40. एक-एक बूंद से सागर भर जाता है
- 41. मैं बौरी खोजन गयी, रही किनारे बैठ
- 42. अमृत-वर्षा की बाढ़
- 43. उतरो अब उस नासमझी में
- 44. स्वर्ग के भी पार होना है
- 45. समस्त आयामों में हो रहा--अनादि-अनंत संगीतोत्सव
- 46. नया नाम--पुराने से तादात्म्य तोड़ने के लिए
- 47. निकट है तेरा नया जन्म
- 48. संवादित प्रार्थना के स्वर
- 49. समाधान--समाधि पर ही
- 50. ध्यान से मन हो जाता है अनासक्त
- 51. स्वानुभव ही श्रद्धा है
- 52. संन्यासी जायेंगे--अमृत-संदेश बांटने
- 53. संभावी क्रांति की प्रतीति
- 54. सिद्धियों में रस न लेना
- 55. अतीत को टूटने दो--मिटने दो
- 56. काम-ऊर्जा के अंतर्गमन का विधायक मार्ग
- 57. मैं हूं ही कहां--वही है
- 58. तैयारी--भविष्य के लिए
- 59. पदार्थ परमात्मा की देह है
- 60. गूंगे का गुड़
- 61. कूदो--असुरक्षा में, अज्ञात में, अज्ञेय में
- 62. अज्ञेय (Unknowable) से मिलन
- 63. सीखने के लिए मन को सदा खुला रखो
- 64. गुरु सोये हुए ज्ञान को जगाने में निमित्त मात्र है
- 65. गैरिक वस्त्र साधक के लिए मंगलदायी
- 66. अचेतन मन का पलायन--मृत्यु से बचने के लिए
- 67. साहस को जगाओ--सक्रिय करो
- 68. नव-संन्यास आंदोलन का महत कार्य
- 69. शब्दों की मूर्च्छा और विचारों का सम्मोहन
- 70. आकाश में छलांग--खिड़कियों से निकलकर
- 71. सहायता--देशातीत व कालातीत की
- 72. चाह है जहां--वहां राह भी है
- 73. स्वयं को बचाने में ही अज्ञान है
- 74. ध्यान--अशरीरी-भाव और ब्रह्म-भाव
- 75. ध्यान के बिना ब्रह्मचर्य असंभव
- 76. यात्रायें--सूक्ष्म शरीर से
- 77. अहंकार को समझो
- 78. संन्यास के संस्कार--पिछले जन्मों के
- 79. बंधन स्वयं का निर्माण है
- 80. बढ़ो और मिटो--यही मेरी कामना है
- 81. जो खाली हैं--वे भर दिये जाते हैं
- 82. मेरा भरोसा रख
- 83. अहंकार की अतिशय उपस्थिति
- 84. ज्ञानोपलब्धि और अज्ञेय जीवन
- 85. बूंद-बूंद सुखों में--परमात्मा का विस्मरण
- 86. सत्य का द्वार शास्त्र नहीं--समाधि है
- 87. मैं मृत्यु सिखाता हूं
- 88. धर्म की दो अभिव्यक्तियां--तथाता और शून्यता
- 89. सभी कुछ वही है
- 90. स्वयं को खोल लो--आकाश की भांति--विस्तीर्ण, मौन, निःशब्द
- 91. मन के द्वंद्वों के प्रति सजगता
- 92. जीवन एक अभिनय है
- 93. शास्त्रों से मनपसंद अर्थ निकालने की कुशलता
- 94. आदमी की गहन मूर्च्छा
- 95. बीज को लड़ना भी होगा--मिटना भी होगा
- 96. प्रभु के द्वार पर कोई भी अपात्र नहीं है
- 97. मार्ग की कठिनाइयां और जीवन-शिखर छूने की अभीप्सा
- 98. पार उठो--विचारों का बोझ
- 99. समग्र प्राणों की आहुति--और सत्य का विस्फोट
- 100. ध्यान की यात्रा में विचारों का बोझ
- 101. बहुत तरह की अग्नियों में जलना होगा--निखरने के लिए
- 102. मार्ग चुनने के पहले स्वयं की पहचान जरूरी
- 103. हृदय की सरलता ही तो उसका द्वार है
- 104. प्यास चाहिए--पुकार चाहिए
- 105. समर्पित हृदय की अन्तर्साधना
- 106. कांटों को गिनते रहना पागलपन है
- 107. शांति का द्वार--जीवन की समग्र स्वीकृति
- 108. विवाद--अज्ञानियों के
- 109. पूर्ण संकल्प में तुम स्वयं ही मंजिल हो
- 110. संसार में अभिनेता की भांति जीना योग है
- 111. सहजता ही संन्यास है
- 112. मन से मुक्ति
- 113. व्यक्ति का विसर्जन--प्रकाश में
- 114. अहिंसा--अनिवार्य छाया ध्यान की
- 115. विचारों का विसर्जन
- 116. गहरे ध्यान में दर्शन--बिंदु का
- 117. ‘स्व’ से मुक्ति ही मोक्ष है
- 118. चक्रों के खुलते समय पीड़ा स्वाभाविक
- 119. स्वप्न-सा है--यह जीवन
- 120. सोया हुआ आदमी--जीवन के तथ्यों के प्रति
- 121. गहरी निद्रा का बोध
- 122. पकने दो--प्यास को
- 123. चित्त के दर्पण पर जन्मों-जन्मों की धूल
- 124. प्रतिपल स्मरण रख--जीवन नाटक है
- 125. साधना के कीमती क्षणों में सजगता
- 126. नया जन्म--शरीर के पार--मन के पार
- 127. सत्य एक है--बस, नाम ही अनेक हैं
- 128. देखो अद्वैत को--पहचानो अद्वैत को
- 129. बढ़ो, बहो--सागर की ओर
- 130. मृत्यु है द्वार--अमृत का
- 131. जीयो जीवन को--पीयो जीवन को
- 132. ध्यान में पूरी बाजी लगाओ
- 133. पीड़ा प्रार्थना बने--तो ही मुक्ति है
- 134. एक ही है मंत्र--समर्पण
- 135. आंसुओं से सींचना--प्रार्थना के बीज को
- 136. अनेक द्वैतों को समाहित किये हुए--अद्वैत
- 137. भीतर डूबो और भीड़ को स्वयं से बाहर करो
- 138. विचारों से गहरी--भावना
- 139. स्वयं में विश्वास प्रतिभा है
- 140. अंतर्ज्योति
- 141. बस, सीधी चली आ
- 142. अविचलता से स्वयं का अनुसरण करो
- 143. कर्मों का चट्टानी ढेर
- 144. धैर्य और प्रतीक्षा
- 145. समर्पण है द्वार--परम जीवन का
- 146. बुद्धि की सीमा
- 147. मृत्यु-बोध और आत्म-क्रांति
- 148. बस, ज्ञान ही मुक्ति है
- 149. मन को भी जो देखता और जानता है--वही हो तुम
- 150. घूंघट के पट खोल
Info on letters from Shailendra's PDF:
chapter / title | sent to (in Hindi) | date | notes |
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1/ जन्म-दिवस संदेश--"द्विज बनो" | श्री विजयबाबू देशलहरा, Buldhana (MH) | 14 Mar 1961 am | |
2/ सम्यक विचार से जीवन में क्रांति | श्री भीखमचंद कोठारी, Hingoli (MH) | 14 Nov 1961 | |
3/ ज्वलंत प्यास है द्वार--समाधि का | श्री भीखमचंद कोठारी, Hingoli (MH) | 7 Dec 1961 | |
4/ प्रेम मुक्ति है और मोह--बंधन | श्री भीखमचंद जी कोठारी, Hingoli (MH) | 14 Feb 1962 | |
5/ भीतर छिपी अनंत शांति और साम्राज्य की खोज | श्री भीखमचंद कोठारी, Hingoli (MH) | 13 Nov 1962 am | |
6/ प्रकाश-किरण का अनुगमन--मूल-स्रोत तक | सुश्री जया शाह, Bombay | 4 Jun 1963 | |
7/ स्वयं से मिलन ही योग है | श्री भीखमचंद कोठारी, Hingoli (MH) | 14 Aug 1963 | |
8/ शून्यता है द्वार--अमृत का | सुश्री जया शाह, Bombay | 7 Nov 1963 | |
9/ शाश्वत आनंद के राज्य में प्रतिष्ठा | श्री भीखमचंद देशलहरा, Buldhana (MH) | 12 Jan 1964 | |
10/ अमृत-पाथेय | श्री विजयबाबू देशलहरा, Buldhana (MH) | 8 May 1965 | |
11/ आनंद है--निर्विचार स्व-प्रतिष्ठा में | सुश्री सोहन बाफना, Poona | 4 Jun 1965, Gadarwara | |
12/ साधना की हवाएं और मन की धूल | सुश्री सोहन बाफना, Poona | 12 Jun 1965 | |
13/ वर्तमान में जीना अदभुत आनंद है | सुश्री सोहन बाफना, Poona | 26 Jun 1965 | manuscript gives 25 Jun date. |
14/ ध्यान से खुलना--अंतस-चक्षु का | श्री आर. के. नंदाणी, Rajkot (GJ) | 2 Mar 1966, Jabalpur | |
15/ आनंद और संगीत--अकेलेपन का | सुश्री सोहन, Poona | 3 May 1966 | |
16/ मिटना है मार्ग | श्री आर. के. नंदाणी, Rajkot | 24 Jun 1966, Jabalpur | |
17/ ध्यान के बीज से सत्य-जीवन का अंकुरण | श्री आर. के. नंदाणी, Rajkot | 2 Dec 1966, Jabalpur | |
18/ जीवन-संघर्ष के बीच फलित--सम्यक शांति | कुमारी एन. आर. नंदाणी, Rajkot | 3 Dec 1966 | |
19/ निष्प्रश्न चित्त में सत्य का आविर्भाव | श्री चंद्रकांत पी. सोलंकी, Surendranagar (GJ) | 2 Dec 1967 | |
20/ उत्तर न खोज--प्रश्नों के साथ ही जी | मा योग शोभना, Bombay | 18 Apr 1968 | |
21/ सरोवर का किनारा--और जन्मों-जन्मों की प्यास | मा योग शोभना, Bombay | 5 Aug 1968 | |
22/ जागरूकता से जन्म--प्रेम का | सुश्री स्वर्णलता बत्रा, Bombay | 23 Dec 1968 am | |
23/ ध्यान पाया, तो सब पा लिया | सुश्री स्वर्णलता बत्रा, Bombay | 9 Jan 1969 | |
24/ जीत की आकांक्षा में ही छिपी है हार | स्वामी आनंद मैत्रेय, Patna | (no date), Jabalpur | |
25/ "मैं मन हूं"--इस भ्रम से मुक्ति | स्वामी आनंद मैत्रेय, Patna | (no date) | |
26/ प्रत्येक स्थिति है--अतिक्रमण की संभावना | स्वामी आनंद मैत्रेय, Patna | 20 Feb 1969 | |
27/ अनकहे शब्द और अनगाए गीत | सुश्री कुसुम, Ludhiana (Punjab) | 30 Aug 1969 | |
28/ निष्प्रयोजनता का सौंदर्य | स्वामी आनंद मैत्रेय, Patna | Oct 1969 | month only |
29/ समझौता न करें--विचार स्वातंष्य के लिए लड़ें | आचार्य श्री तुलसी | (no date) | |
30/ कुण्डलिनी-ऊर्जा का ऊर्ध्वगमन | सुश्री पद्मा इंजीनियर, Poona | 13 Dec 1970 | |
31/ पूर्ण होने का विज्ञान है--शून्य होना | मा आनंद मधु, Ajol (GJ) | 28 Dec 1970 | |
32/ अलौकिक अनुभवों की वर्षा--कुंडलिनी जागरण पर | श्री राजेन्द्र आर. अन्जारिया, Ahmedabad | 29 Dec 1970 | |
33/ मौन-प्रवचन | स्वामी वेदांत भारती, Ajol (GJ) | 14 Jan 1971 | |
34/ शून्य के स्वर | श्री किरण, Poona (MH) | 21 Jan 1971 | |
35/ शब्दहीन संवाद में दीक्षा | श्री ब्रह्मदत्त, Bombay | 22 Jan 1971 | |
36/ संसार और संन्यास में द्वैत नहीं है | स्वामी अगेह भारती, Jabalpur | 8 Mar 1971 | |
37/ दीये की ज्योति का एक हो जाना--महासूर्य से | साध्वी योग शिरीष, Bombay | 8 Mar 1971 | |
38/ अब अवसर आ गया है, इसलिए पुकारता हूं | सौ. मृणाल जोशी, Poona | 8 Mar 1971 | |
39/ जिसने स्वयं को जाना, वह आलोक से भर जाता है | श्रीमती नीलम अमरजीत, Ludhiana (Punjab) | 8 Mar 1971 | |
40/ एक-एक बूंद से सागर भर जाता है | श्रीमती कुसुम, Ludhiana | 8 Mar 1971 | |
41/ मैं बौरी खोजन गई, रही किनारे बैठ | डाक्टर हेमंत शुक्ल, Junagadh | 8 Mar 1971 | |
42/ अमृत-वर्षा की बाढ़ | स्वामी आनंद विजय, Jabalpur | 8 Mar 1971 | |
43/ उतरो अब उस नासमझी में | स्वामी आनंद विजय, Jabalpur | 8 Mar 1971 | |
44/ स्वर्ग के भी पार होना है | श्री मदनलाल, Amritsar | 9 Mar 1971 | |
45/ समस्त आयामों में हो रहा--अनादि-अनंत संगीतोत्सव | साध्वी योग शिरीष, Bombay | 9 Mar 1971 | |
46/ नया नाम--पुराने से तादात्म्य तोड़ने के लिए | मा योग संबोधि, Jabalpur | 9 Mar 1971 | |
47/ निकट है तेरा नया जन्म | सौ. मृणाल जोशी, Poona | 9 Mar 1971 | |
48/ संवादित प्रार्थना के स्वर | श्री जवाहर बोहरा, Amravati (MH) | 9 Mar 1971 | |
49/ समाधान--समाधि पर ही | स्वामी आनंद ब्रह्म, Poona | 10 Mar 1971 | |
50/ ध्यान से मन हो जाता है अनासक्त | स्वामी आनंद ब्रह्म, Poona | 10 Mar 1971 | |
51/ स्वानुभव ही श्रद्धा है | श्री मदनलाल, Amritsar | 10 Mar 1971 | |
52/ संन्यासी जाएंगे--अमृत-संदेश बांटने | मा योग तरु, Bombay | 10 Mar 1971 | |
53/ संभावी क्रांति की प्रतीति | मा योग तरु, Bombay | 10 Mar 1971 | |
54/ सिद्धियों में रस न लेना | मा योग समाधि, Rajkot | 10 Mar 1971 | |
55/ अतीत को टूटने दो--मिटने दो | मा योग तरु, Bombay | 11 Mar 1971 | |
56/ काम-ऊर्जा के अंतर्गमन का विधायक मार्ग | मा योग समाधि, Rajkot | 11 Mar 1971 | |
57/ मैं हूं ही कहां--वही है | मा धर्म रक्षिता, Bombay | 11 Mar 1971 | |
58/ तैयारी--भविष्य के लिए | मा योग तरु, Bombay | 11 Mar 1971 | |
59/ पदार्थ परमात्मा की देह है | श्री सुभाषचंद्र पांडे, Satna (MP) | 11 Mar 1971 | |
60/ गूंगे का गुड़ | श्री मदनलाल, Amritsar (Punjab) | 11 Mar 1971 | |
61/ कूदो--असुरक्षा में, अज्ञात में, अज्ञेय में | स्वामी दिनेश भारती, Khadki, Poona | 11 Mar 1971 | |
62/ अज्ञेय (न्नदादवूंइसम) से मिलन | स्वामी दिनेश भारती, Khadki, Poona | 11 Mar 1971 | |
63/ सीखने के लिए मन को सदा खुला रखो | स्वामी प्रेम चैतन्य, Poona | 11 Mar 1971 | |
64/ गुरु सोए हुए ज्ञान को जगाने में निमित्त मात्र है | स्वामी प्रेम चैतन्य, Poona | 11 Mar 1971 | |
65/ गैरिक वस्त्र साधक के लिए मंगलदायी | स्वामी दिनेश भारती, Poona | 12 Mar 1971 | |
66/ अचेतन मन का पलायन--मृत्यु से बचने के लिए | स्वामी दिनेश भारती, Khadki, Poona | 12 Mar 1971 | |
67/ साहस को जगाओ--सक्रिय करो | श्री सुभाषचंद्र पांडे, Satna (MP) | 12 Mar 1971 | |
68/ नव-संन्यास आंदोलन का महत कार्य | मा योग तरु, Bombay | 12 Mar 1971 | |
69/ शब्दों की मूर्च्छा और विचारों का सम्मोहन | श्री श्रीकांत नारायण लग्गड़, Sangamner (MH) | 12 Mar 1971 | |
70/ आकाश में छलांग--खिड़कियों से निकल कर | श्री श्रीकांत नारायण लग्गड़, Sangamner | 12 Mar 1971 | |
71/ सहायता--देशातीत व कालातीत की | स्वामी विजय मूर्ति, Poona | 12 Mar 1971 | |
72/ चाह है जहां--वहां राह भी है | श्री चंपक लालजे सोलंकी, Bombay | 12 Mar 1971 | |
73/ स्वयं को बचाने में ही अज्ञान है | स्वामी आनंद नारायण, Chinchwad, Poona | 12 Mar 1971 | |
74/ ध्यान--अशरीरी भाव--और ब्रह्म-भाव | श्री नटवरसिंह, Kherwa, Saurashtra | 12 Mar 1971 | Kherwa is a village in Rajasthan, and Saurashtra is in Gujarat ?? |
75/ ध्यान के बिना ब्रह्मचर्य असंभव | मा धर्म रक्षिता, Malad, Bombay | 12 Mar 1971 | |
76/ यात्राएं--सूक्ष्म शरीर से | स्वामी चैतन्य बोधिसत्व, Ahmedabad | 13 Mar 1971 | |
77/ अहंकार को समझो | श्रीकांत नारायण लग्गड़, Sangamner | 13 Mar 1971 | |
78/ संन्यास के संस्कार--पिछले जन्मों के | स्वामी आनंद निर्गुण, Raipur (MP) | 13 Mar 1971 | |
79/ बंधन स्वयं का निर्माण है | श्री शंकर लाल बी. रामी, Ahmedabad | 13 Mar 1971 | |
80/ बढ़ो और मिटो--यही मेरी कामना है | डा. बी. सी. भट्टाचार्य, Pimpri, Poona | 13 Mar 1971 | |
81/ जो खाली हैं--वे भर दिए जाते हैं | सुश्री उर्मिला, Gorakhpur | 13 Mar 1971 | |
82/ मेरा भरोसा रख | श्रीमती पुष्पाजी, Jalandhar (Punjab) | 13 Mar 1971 | |
83/ अहंकार की अतिशय उपस्थिति | मा योग क्रांति, Jabalpur | 13 Mar 1971 | |
84/ ज्ञानोपलब्धि और अज्ञेय जीवन | मा योग क्रांति, Jabalpur | 14 Mar 1971 | |
85/ बूंद-बूंद सुखों में--परमात्मा का विस्मरण | मा योग क्रांति, Jabalpur | 15 Mar 1971 | |
86/ सत्य का द्वार शास्त्र नहीं--समाधि है | मा योग क्रांति, Jabalpur | 16 Mar 1971 | |
87/ मैं मृत्यु सिखाता हूं | मा योग क्रांति, Jabalpur | 17 Mar 1971 | |
88/ धर्म की दो अभिव्यक्तियां--तथाता और शून्यता | मा योग क्रांति, Jabalpur | 19 Mar 1971 | |
89/ सभी कुछ वही है | मा योग क्रांति, Jabalpur | 20 Mar 1971 | |
90/ स्वयं को खोल लो--आकाश की भांति--विस्तीर्ण, मौन, निःशब्द | मा योग क्रांति, Jabalpur | 20 Mar 1971 | |
91/ मन के द्वंद्वों के प्रति सजगता | डा. मदन, Ghazipur (UP) | 1 Apr 1971 | |
92/ जीवन एक अभिनय है | सुश्री नीलम अमरजीत, Ludhiana (Punjab) | 1 Apr 1971 | |
93/ शास्त्रों से मनपसंद अर्थ निकालने की कुशलता | स्वामी कृष्ण सरस्वती, Ahmedabad | 1 Apr 1971 | |
94/ आदमी की गहन मूर्च्छा | स्वामी कृष्ण सरस्वती, Ahmedabad | 2 Apr 1971 | |
95/ बीज को लड़ना भी होगा--मिटना भी होगा | स्वामी चैतन्य प्रभु, Poona | 2 Apr 1971 | |
96/ प्रभु के द्वार पर कोई भी अपात्र नहीं है | मा अमृत साधना, Poona | 2 Apr 1971 | |
97/ मार्ग की कठिनाइयां--और जीवन-शिखर छूने की अभीप्सा | मा योग तरु, Bombay | 2 Apr 1971 | |
98/ पार उठो--विचारों के | स्वामी आनंद निर्गुण, Raipur (MP) | 2 Apr 1971 | |
99/ समग्र प्राणों की आहुति--और सत्य का विस्फोट | स्वामी आनंद निर्गुण, (MP) | 2 Apr 1971 | |
100/ ध्यान की यात्रा में विचारों का बोझ | श्रीमती कमला लक्ष्मीचंद, Bangalore | 2 Apr 1971 | |
101/ बहुत तरह की अग्नियों में जलना होगा--निखरने के लिए | स्वामी दिनेश भारती, Varanasi (UP) | 2 Apr 1971 | |
102/ मार्ग चुनने के पहले स्वयं की पहचान जरूरी | सौ. लीला अयंकर, Poona | 2 Apr 1971 | |
103/ हृदय की सरलता ही तो उसका द्वार है | सुश्री प्रेमा बाई, Poona | 2 Apr 1971 | |
104/ प्यास चाहिए--पुकार चाहिए | श्री मल्लिकार्जुन सिद्ध अप्पा हिपलगे, Dhanura (Mysore) | 2 Apr 1971 | |
105/ समर्पित हृदय की अंतर्साधना | मा अमृत साधना, Poona | 2 Apr 1971 | |
106/ कांटों को गिनते रहना पागलपन है | स्वामी अक्षय सरस्वती, Jabalpur (MP) | 3 Apr 1971 | |
107/ शांति का द्वार--जीवन की समग्र स्वीकृति | श्री कृष्ण जी गणेश जोशी, Bombay | 3 Apr 1971 | |
108/ विवाद--अज्ञानियों के | स्वामी योग चिन्मय, Bombay | 10 Apr 1971 | |
109/ पूर्ण संकल्प में तुम स्वयं ही मंजिल हो | स्वामी आनंद संत, Amritsar | 13 Apr 1971 | |
110/ संसार में अभिनेता की भांति जीना योग्य है | स्वामी आनंद संत, Amritsar | 14 Apr 1971 | |
111/ सहजता ही संन्यास है | स्वामी आनंद आलोक, Sangamner | 14 Apr 1971 | |
112/ मन से मुक्ति | श्री कांतिलाल टी. सेठिया, Dhanbad (Bihar) | 15 Apr 1971 | |
113/ व्यक्ति का विसर्जन--प्रकाश में | कुमारी रजनी, Poona | 15 Apr 1971 | |
114/ अहिंसा--अनिवार्य छाया ध्यान की | स्वामी आनंद संत, Amritsar (Punjab) | 15 Apr 1971 | |
115/ विचारों का विसर्जन | कुमारी रजनी, Poona | 15 Apr 1971 | |
116/ गहरे ध्यान में दर्शन--बिंदु का | कुमारी रजनी, Poona | 15 Apr 1971 | |
117/ "स्व" से मुक्ति ही मोक्ष है | स्वामी आनंद आलोक, Sangamner (MH) | 15 Apr 1971 | |
118/ चक्रों के खुलते समय पीड़ा स्वाभाविक | मा अमृत साधना, Poona | 16 Apr 1971 | |
119/ स्वप्न-सा है--यह जीवन | श्री सुखराज जैन, Barman (MP) | 16 Apr 1971 | |
120/ सोया हुआ आदमी--जीवन के तथ्यों के प्रति | श्री सुखराज जैन, Barman (MP) | 16 Apr 1971 | |
121/ गहरी निद्रा का बोध | श्री सुखराज जैन, Barman (MP) | 16 Apr 1971 | |
122/ पकने दो--प्यास को | श्री राजेन्द्र खजांची, Savali (MH) | 16 Apr 1971 | |
123/ चित्त के दर्पण पर जन्मों-जन्मों की धूल | श्री कालूराम अग्रवाल, Jugsalai (Bihar) | 16 Apr 1971 | |
124/ प्रतिपल स्मरण रख--जीवन नाटक है | मा अमृत साधना, Poona | 17 Apr 1971 | |
125/ साधना के कीमती क्षणों में सजगता | मा अमृत साधना, Poona | 17 Apr 1971 | |
126/ नया जन्म--शरीर के पार--मन के पार | मा योग शिवानी, Ahmedabad | 18 Apr 1971 | |
127/ सत्य एक है--बस, नाम ही अनेक हैं | मा योग शिवानी, Ahmedabad | 18 Apr 1971 | |
128/ देखो अद्वैत को--पहचानो अद्वैत को | स्वामी चैतन्य प्रभु, Poona | 18 Apr 1971 | |
129/ बढ़ो, बहो--सागर की ओर | स्वामी वेदांत सागर, Rajkot | 18 Apr 1971 | |
130/ मृत्यु है द्वार--अमृत का | स्वामी अमृत सिद्धांत, Ahmedabad | 18 Apr 1971 | |
131/ जीओ जीवन को--पीओ जीवन को | स्वामी अमृत सिद्धांत, Ahmedabad | 18 Apr 1971 | |
132/ ध्यान में पूरी बाजी लगाओ | श्रीमती पुष्पा, Jalandhar (Punjab) | 19 Apr 1971 | |
133/ पीड़ा प्रार्थना बने--तो ही मुक्ति है | श्री सरदारी लाल सहगल, Amritsar (Punjab) | 19 Apr 1971 | |
134/ एक ही है मंत्र--समर्पण | श्री सरदारी लाल सहगल, Amritsar | 19 Apr 1971 | |
135/ आंसुओं से सींचना--प्रार्थना के बीज को | स्वामी चैतन्य प्रभु, Poona | 19 Apr 1971 | |
136/ अनेक द्वैतों को समाहित किए हुए--अद्वैत | मा योग लक्ष्मी, Bombay | 20 Apr 1971 | |
137/ भीतर डूबो और भीड़ को स्वयं से बाहर करो | स्वामी कृष्ण कबीर, Bombay | 18 May 1971 | |
138/ विचारों से गहरी--भावना | स्वामी आनंद परमहंस, Jabalpur | 20 May 1971 | |
139/ स्वयं में विश्वास प्रतिभा है | स्वामी आनंद परमहंस, Jabalpur | 21 May 1971 | |
140/ अंतर्ज्योति | स्वामी योग चिन्मय, Bombay | 21 May 1971 | |
141/ बस, सीधी चली आ | साध्वी चंदना, कलकत्ता | 24 May 1971 | |
142/ अविचलता से स्वयं का अनुसरण करो | स्वामी योग चिन्मय, Bombay | 25 May 1971 | |
143/ कर्मों का चट्टानी ढेर | मा योग प्रार्थना, Bombay | 6 Jun 1971 | |
144/ धैर्य और प्रतीक्षा | मा योग तारा, Bombay | 6 Jun 1971 | |
145/ समर्पण है द्वार--परम जीवन का | स्वामी रामकृष्ण भारती, Bagra Tawa (MP) | 22 Jun 1971 | |
146/ बुद्धि की सीमा | श्रीमती सुशीला सिन्हा, Patna | 5 Jul 1971 | |
147/ मृत्यु-बोध और आत्म-क्रांति | श्री नागेश्वर प्रसाद सिंह, Onta (Bihar) | 12 Dec 1971 | |
148/ बस, ज्ञान ही मुक्ति है | श्रीयुत राहुल, Agra | 28 Feb 1972 | |
149/ मन को भी जो देखता और जानता है--वही हो तुम | श्री एम. एल. राजोरिया, Jabalpur (MP) | 18 Apr 1971 | |
150/ घूंघट के पट खोल | श्री पुष्कर गोकाणी, Dwarka (GJ) | 6 Mar 1971 |
I did not translate names as i do not know Hindi well.--DhyanAntar 10:15, 27 September 2019 (UTC)
Timeline will be updated by dates for above letters from Tattvamasi (तत्त्वमसि) first edition, as it published 1975 year, much earlier than current book. So it is more reliable information.--DhyanAntar 11:32, 9 April 2020 (UTC)