Uttardayitav (उत्तरदायित्व)
- सत्य की व्यक्तिगत खोज से लेकर ज्वलंत सामाजिक व राजनैतिक प्रश्नों पर ओशो की दृष्टि उनको हर श्रेणी से अलग अपनी कोटि आप बना देती है। उन्होंने ध्यान की ऐसी विधियां प्रस्तुत की है जो आज के गतिशील जीवन को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं। ओशो के सक्रिय ध्यान इस तरह बनाए गए हैं कि शरीर और मन में इकट्ठे तनावों से मुक्त हुआ जा सके। इन्हीं सक्रिय ध्यान पर आधारित यह सीरीज है। एकमात्र समस्या, अहिंसा, प्रेम और विवाह, मेडिसन और मेडिटेशन, तृष्णा, युवक और यौन, शरीर मन संतुलन, प्रेम का अर्थ, श्रेष्ठ कौन, जीवन मृत्यु, उत्त्ादायित्व
- notes
- Originally published as ch.124 of Tao Upanishad, Bhag 6 (ताओ उपनिषद, भाग छह).
- time period of Osho's original talks/writings
- Apr 7, 1975 : timeline
- number of discourses/chapters
- 1 (see table of contents)
editions
Uttardayitav (उत्तरदायित्व)जीवन की हर समस्या के लिए कौन है उत्तरदायी : दूसरे या हम स्वयं? (Jeevan Ki Har Samasya Ke Lie Kaun Hai Uttardayi: Dusre Ya Ham Swayam?)
|
table of contents
edition 2006 chapter titles |
discourse | |||||||
---|---|---|---|---|---|---|---|---|
event | location | duration | media | |||||
1 | (no title) | 7 Apr 1975, 8:00 | Chuang Tzu Auditorium, Poona | 1h 21min | audio |