Jeevit Mriye Bhavjal Tariye (जीवित मरिए भवजल तरिए)
- इस पुस्तक का एक-एक शब्द साध्ना से जुड़ा है। जिसने गुरु सिक्खी परम्परा के चौथे पातशाह गुरु रामदास जी की इस पंकित को समझा 'जीवित मरिए भवजल तरिए उसके लिए समझने को कुछ बाकी नहीं।
- author
- Osho Siddharth
- language
- Hindi
- notes
editions
जीवित मरिए भवजल तरिए
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