Manapalikade (मनापलीकडे)
- मैं मन से छूटने की कला ही सिखा रहा हूं संन्यास का मेरा अर्थ ही है केवल : मन से छूट - मनी अवस्था को अनुभव करो साक्षी बनो इस मन के- जहां दुख हैं, जहां सुख हैं; जहां हंसी भी है ओर आंसू भी हैं; जहां सब तरह के व्दंव्द हैं हंसी आए तो उसे भी जागकर देखना रोना आए तो उसे भी जाग कर देखना! ओर इतना स्मरण रखना निरंतर कि मैं तो वह हूं जो जागा हुआ देख रहा है- न आंसू हूं न मुस्कुराहट हूं, दोनों का साक्षी हूं इस साक्षी- भाव में तुम ठहर जाओ, थिर हो जाओ, इस साक्षी- भाव में तुम रम जाओ, तो तुम्हारे जीवन में महारास है! तो तुम्हारे जीवन में फिर दीवाली ही दीवाली है, फाग ही फाग है! फिर तुम्हारा जीवन सावन का महीना है फिर डालो झूले, फिर गाओ गीत
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- Hindi:
- notes
- time period of Osho's original talks/writings
- (unknown)
- number of discourses/chapters
editions
मनापलीकडे
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