Manuscripts ~ Satyam Shivam Sundaram (सत्यम् शिवम् सुंदरम्): Difference between revisions
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:एक व्यक्ति ने मुझसे पूछा कि क्या आपको परमात्मा से कोई शिकायत नहीं है? | :एक व्यक्ति ने मुझसे पूछा कि क्या आपको परमात्मा से कोई शिकायत नहीं है? | ||
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:एक अंधेरी अमावस की रात्रि में बहुत थका-मांदा वह एक गांव में गया। किंतु उस गांव के लोगों ने उसे शरण नहीं दी। उसने उन्हें धन्यवाद दिया और परमात्मा को भी और गांव के बाहर जाकर एक सूखी बावली में ठहर गया। उसने अपनी कंदील जलाई लेकिन हवा के तेज झोंकों ने उसे बुझा दिया। उसने परमात्मा को धन्यवाद दिया और विश्राम करने को लेट गया। लेकिन तभी एक भेड़िए ने उसके मुर्गे को मार डाला और एक सिंह उसके गधे को खा गया। उसने पुनः भगवान को धन्यवाद दिया और सोने की कोशिश की। और तभी उसी रात्रि, जबकि वह बिल्कुल असहाय था, भूखा था, प्यासा था, थका-मांदा था और उससे सब कुछ छीन लिया गया था; उसका धन्यवाद देने वाला हृदय परमात्मा के दर्शन को उपलब्ध हुआ। उसने सत्य को जाना। क्योंकि वह समता को और स्वीकार को उपलब्ध हो गया था। | :एक अंधेरी अमावस की रात्रि में बहुत थका-मांदा वह एक गांव में गया। किंतु उस गांव के लोगों ने उसे शरण नहीं दी। उसने उन्हें धन्यवाद दिया और परमात्मा को भी और गांव के बाहर जाकर एक सूखी बावली में ठहर गया। उसने अपनी कंदील जलाई लेकिन हवा के तेज झोंकों ने उसे बुझा दिया। उसने परमात्मा को धन्यवाद दिया और विश्राम करने को लेट गया। लेकिन तभी एक भेड़िए ने उसके मुर्गे को मार डाला और एक सिंह उसके गधे को खा गया। उसने पुनः भगवान को धन्यवाद दिया और सोने की कोशिश की। और तभी उसी रात्रि, जबकि वह बिल्कुल असहाय था, भूखा था, प्यासा था, थका-मांदा था और उससे सब कुछ छीन लिया गया था; उसका धन्यवाद देने वाला हृदय परमात्मा के दर्शन को उपलब्ध हुआ। उसने सत्य को जाना। क्योंकि वह समता को और स्वीकार को उपलब्ध हो गया था। | ||
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Revision as of 10:00, 26 April 2018
Truth, Goodness, Beauty
- Brahma, Vishnu, Mahesh: The Creator, the Preserver and the Destroyer
- year
- 1966
- notes
- 10 sheets plus 9 written on reverse.
- Page numbers showing "R" and "V" refer to "Recto and Verso".