Manuscripts ~ Satyam Shivam Sundaram (सत्यम् शिवम् सुंदरम्)

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Truth, Goodness, Beauty

Brahma, Vishnu, Mahesh: The Creator, the Preserver and the Destroyer

year
1966
notes
10 sheets plus 9 written on reverse.
Page numbers showing "R" and "V" refer to "Recto and Verso".


page no original photo enhanced photo Hindi transcript
1R Letter 1 : Mitti Ke Diye (मिट्टी के दीये), page 10
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Letter 1 : Mitti Ke Diye (मिट्टी के दीये), page 10
Letter 2 : Mitti Ke Diye (मिट्टी के दीये), page 11
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Letter 2 : Mitti Ke Diye (मिट्टी के दीये), page 11
Letter 3 : Mitti Ke Diye (मिट्टी के दीये), page 1
2V Letter 3 : Mitti Ke Diye (मिट्टी के दीये), page 1
3R Letter 4
एक व्यक्ति ने मुझसे पूछा कि क्या आपको परमात्मा से कोई शिकायत नहीं है?
मैं क्या कहता, थोड़ी देर तक तो चुप ही रह गया; क्योंकि जब तक परमात्मा का पता न हो तभी तक शिकायत हो सकती है। और जब तक शिकायत है तब तक उसका पता नहीं हो सकता। परमात्मा की अनुभूति तो केवल उस चित्त में ही हो सकती है जो कि सब आकांक्षाओं और अपेक्षाओं से मुक्त हो गया है। और जहां आकांक्षा नहीं, अपेक्षा नहीं, वहां शिकायत कैसी? जो है, जो हो रहा है, उसके सहज स्वीकार से ही उस चित्त भूमि का निर्माण होता है, जहां कि परमात्मा के बीज अंकुरित हो सकें।
एक हिब्रू कथा है कभी एक फकीर हुआ, अजीफा। वह परमात्मा की खोज में भटकता था। प्रार्थनाएं करते-करते वह थक गया था और उपवास करते-करते उसके अंतिम दिन निकट आ गए थे। लेकिन परमात्मा दूर था, सो दूर ही रहा। फिर भी उसकी कोई शिकायत न थी। और शत्रु उसके पीछे पड़े थे। बुढ़ापे में भी उसे एक गांव से दूसरे गांव भागना पड़ रहा था। सब ने उसका साथ छोड़ दिया था। उसके पास एक कंदील थी जिसके प्रकाश में वह धर्मशास्त्र पढ़ लेता था। और था एक मुर्गा जो उसे भोर होते ही जगा देता था। और था एक गधा जिस पर वह एक गांव से दूसरे गांव यात्रा करता रहता था। यही थे उसके साथी। और हृदय में परमात्मा के लिए प्रार्थना थी और धन्यवाद था।
एक अंधेरी अमावस की रात्रि में बहुत थका-मांदा वह एक गांव में गया। किंतु उस गांव के लोगों ने उसे शरण नहीं दी। उसने उन्हें धन्यवाद दिया और परमात्मा को भी और गांव के बाहर जाकर एक सूखी बावली में ठहर गया। उसने अपनी कंदील जलाई लेकिन हवा के तेज झोंकों ने उसे बुझा दिया। उसने परमात्मा को धन्यवाद दिया और विश्राम करने को लेट गया। लेकिन तभी एक भेड़िए ने उसके मुर्गे को मार डाला और एक सिंह उसके गधे को खा गया। उसने पुनः भगवान को धन्यवाद दिया और सोने की कोशिश की। और तभी उसी रात्रि, जबकि वह बिल्कुल असहाय था, भूखा था, प्यासा था, थका-मांदा था और उससे सब कुछ छीन लिया गया था; उसका धन्यवाद देने वाला हृदय परमात्मा के दर्शन को उपलब्ध हुआ। उसने सत्य को जाना। क्योंकि वह समता को और स्वीकार को उपलब्ध हो गया था।
3V Letter 5 : Mitti Ke Diye (मिट्टी के दीये), page 26
4R Letter 6 : Mitti Ke Diye (मिट्टी के दीये), page 27
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Letter 7 : Mitti Ke Diye (मिट्टी के दीये), page 16
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Letter 8 : Mitti Ke Diye (मिट्टी के दीये), page 17
5V Letter 8 : Mitti Ke Diye (मिट्टी के दीये), page 17
6R Letter 9 : Mitti Ke Diye (मिट्टी के दीये), page 18
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Letter 9 : Mitti Ke Diye (मिट्टी के दीये), page 18
Letter 10 : Mitti Ke Diye (मिट्टी के दीये), page 28
7R Letter 11 : Mitti Ke Diye (मिट्टी के दीये), page 40
7V Letter 12 : Mitti Ke Diye (मिट्टी के दीये), page 50
8R Letter 12 : Mitti Ke Diye (मिट्टी के दीये), page 50
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Letter 12 : Mitti Ke Diye (मिट्टी के दीये), page 50
Letter 13 : Mitti Ke Diye (मिट्टी के दीये), page 41
9R Letter 14 : Mitti Ke Diye (मिट्टी के दीये), page 42
9V Letter 15 : Mitti Ke Diye (मिट्टी के दीये), page 19
10 Letter 15 : Mitti Ke Diye (मिट्टी के दीये), page 19