Talk:Sarvasar Upanishad (सर्वसार उपनिषद)
प्रवचन-क्रम
- 1. एक नाव दो यात्री
- 2. जिज्ञासाः प्रार्थना के बाद
- 3. अहंभाव, अविद्या और विद्या
- 4. आत्मा की अवस्थाएं
- 5. चेतना की घनी नींद और तुरीय
- 6. पंच कोष
- 7. पंच कोषों के पार
- 8. सुख-दुख का स्वरूप
- 9. अज्ञान की पांच ग्रंथियां
- 10. साक्षी, कूटस्थ और अंतर्यामी
- 11. त्वं-स्वरूप प्रत्यगात्मा
- 12. चैतन्य के तीन रूप
- 13. परबह्म-लक्षण
- 14. अनादि अंतवती माया
- 15. नेति-नेति
- 16. अकर्ता, अभोक्ता
- 17. न नाव, न यात्री
(Source of TOC - Shailendra's e-book.--DhyanAntar 05:11, 20 August 2018 (UTC))