Bhakti: Dhyan Ki Madhushala (भक्ति : ध्यान की मधुशाला)
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- ओशो के प्रवचनों को पढ़ना, उन्हें सुनना अपने आप में एक आनंद है। इनके द्वारा आप अपने जीवन में एक अपूर्ण क्रांति की पदचाप सुन सकते हैं। लेकिन केवल प्रारंभ है, शुभ आरंभ है। इन प्रवचनों को पढ़ते हुए आपने महसूस किया होगा कि ओशो का मूल संदेश है ध्यान। ध्यान की भूमि पर ही प्रेम के, आनंद के, उत्सव के फूल खिलते हैं। ध्यान आमूल क्रांति है। निश्चित ही आप भी चाहेंगे कि आपके जीवन में ऐसी आमूल क्रांति हो, आप भी एक ऐसी आबोहवा हो उपलब्ध करें जहां आप अपने आप से परिचित हो सकें, आत्म-अनुभूति की दिशा में कुछ कदम उठा सकें, कोई ऐसा स्थान जहां और भी कुछ लोग इस दिशा में गातिमान हों।
- notes
- Originally published as ch.1-10 of Athato Bhakti Jigyasa, Bhag 2 (अथातो भक्ति जिज्ञासा, भाग 2). See discussion.
- time period of Osho's original talks/writings
- (unknown)
- number of discourses/chapters
editions
Bhakti: Dhyan Ki Madhushala (भक्ति : ध्यान की मधुशाला)
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