Bhavna Ke Bhojpatron Par Osho (भावना के भोजपत्रों पर ओशो)

From The Sannyas Wiki
Revision as of 12:37, 14 November 2019 by Dhyanantar (talk | contribs) (Created page with "{{book| description = 'भावना के भोजपत्रों पर ओशो' पत्रावली शिल्‍प में गढ़ा एक उप...")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search


'भावना के भोजपत्रों पर ओशो' पत्रावली शिल्‍प में गढ़ा एक उपनिषद है कहने को तो ये एक पुत्र के मां के नाम लिखे पत्र हैं परंतु इनमें कृष्‍ण-अर्जुन संवाद की सुंगध है और जनक-अष्‍टावक्र वार्तालाप की सारगर्भिता है। आप इन पत्रों को पढ़ेंगे तो कभी अपने हृदय मंदिर से निकाल नहीं पायेंगे।
इन पत्रों के केंद्र में एक दिव्‍यता है, एक साधना है और एक सिद्ध‍ि है। मां आनंदमयी के रूप में ओशो को ऐसी प्रेरणा मिली थी जिसने पूरे जगत को आलोकित कर दिया। ओशो की लेखनी इन पत्रों में व्‍यक्तित्‍व और कृतित्‍व की उस पराकाष्‍ठा को छू जाती है।
जो बिरले ही देखने को मिलती है। भावनाओं की इस अखंडित और अक्षत श्रृंखला में व्‍यक्ति को अपने भीतर लुप्‍त संभावनाओं की आहट सुनाई देगी।
notes
Letters to Ma Anandmayee.
time period of Osho's original talks/writings
(unknown)
number of discourses/chapters


editions

Bhavna Ke Bhojpatron Par Osho (भावना के भोजपत्रों पर ओशो)

Year of publication : 2002
Publisher : Diamond Pocket Books
ISBN 81-288-0149-X (click ISBN to buy online)
Number of pages : 264
Hardcover / Paperback / Ebook : P
Edition notes :