Dhyan Se Nirvan Ki Or (ध्यान से निर्वाण की ओर)

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अंतर्यात्रा ध्यान से शुरू होती है I लेकिन इसकी मंजिल निर्वाण है और मध्य से समाधि है I सच कहो तो एक साधक के पास अंतर्यात्रा का पूरा मानचित्र होना चाहिए I
मैंने इसको खूब महसूस किया है I जैसे एक यात्री कही जाता है तो उसकी पास पूरा मानचित्र होता है I ओशोधारा में अंतर्यात्रा का पूरा मानचित्र देना चाहते है I एक साधक कहा से शुरू करे ? कौन- कौन से मील के पत्थर आते है और फिर कहां जाना है उसको ?
संक्षिप्त में कहना चाहुगा कि द्रष्टा की मंजिल ध्यान है I ध्यान की मंजिल साक्षीत्व है, साक्षीत्व की मंजिल तथाता है I तथाता की मंजिल सुमिरन है I सुमिरन की मंजिल समाधि है I समाधि की मंजिल निर्वाण है I द्रष्टा अंतर्यात्रा का आरंभ है I मध्य में ध्यान, साक्षी, तथाता, सुमिरन और समाधि है I निर्वाण उसकी मंजिल है I
author
Osho Siddharth
language
Hindi
notes
Available online as PDF on OshoDhara.

editions

ध्यान से निर्वाण की ओर

Year of publication : 2013
Publisher : Limas Foundation
Edition no. :
ISBN 978-9385200151 (click ISBN to buy online)
Number of pages : 304
Hardcover / Paperback / Ebook : P
Edition notes :