Ekmatra Upay: Jago (एकमात्र उपाय : जागो)

From The Sannyas Wiki
Revision as of 13:05, 17 November 2018 by Dhyanantar (talk | contribs) (Created page with "{{book| description =ओशो द्वारा विभिन्‍न प्रवचनमालाओं में उपनिषद-सूत्रों, संस...")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search


ओशो द्वारा विभिन्‍न प्रवचनमालाओं में उपनिषद-सूत्रों, संस्‍कृत-सुभाषितों एवं वेद व ॠषि वाक्‍यों पर दिए गए प्रश्‍नोत्‍तर प्रवचनांशों के संकलन ‘मेरा स्‍वर्णिम भारत’ में से संकलित आठ (10 से 17) प्रवचन। जिसके अनुसार जिंदगी वैसे ही उलझी हुई थी, शराब से सुलझ्‍ नहीं जायेगी। गालियां दे दोगे। झगड़े कर लोगे। कुट जाओगे। पिट जाओगे। किसी को पीट दोगे, छुरा मार दोगे- पता नहीं बेहोशी में क्‍या कर गुजरोगे। इतना तय है कि चिंताएं कम नहीं होंगी, बढ़ जायेंगी। संताप गहन हो जायेगा। पिर और शराब पीना- इसको भुलाने के लिए अब तुम पड़े दुष्‍ट-चक्र में। एक ही उपाय है-जागो, होश से भरो। अगर दुख है तो उनका भी उपयोग करो। दुख का एक ही उपयोग किया जा सकता है और वह यह है कि साक्षी बनो और जितना साक्षी-भाव बढ़ेगा, उतना दुख क्षीण होता जायेगा। इधर भीतर साक्षी जमा कि रोशनी हुई, दुख कटा अंधेरा कटा।
notes
Previously published as ch.10-17 of Mera Swarnim Bharat (मेरा स्वर्णिम भारत).
time period of Osho's original talks/writings
(unknown)
number of discourses/chapters


editions

Ekmatra Upay: Jago (एकमात्र उपाय : जागो)

Year of publication : 2005
Publisher : Diamond Pocket Books
ISBN 8171822339 (click ISBN to buy online)
Number of pages : 144
Hardcover / Paperback / Ebook : P
Edition notes :