Letter written on 11 Mar 1971

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A photocopy of letter written to Ma Yoga Samadhi on 11 Mar 1971. It has been published in Ghoonghat Ke Pat Khol (घूंघट के पट खोल) as letter 56.

acharya rajneesh

A-1 WOODLAND PEDDAR ROAD BOMBAY-26. PHONE: 382184

प्रिय योग समाधि,
प्रेम। सिद्ध के लिए स्त्री-पुरुष में कोई भी भेद नहीं है।

पर साधक के लिए है।

और जितना कमजोर साधक हो उतना ही ज्यादा है।

भेद से अर्थ असमानता नहीं है -- भेद से अर्थ है भिन्नता।

और भिन्नता है और प्रगाढ़ है।

जैविक अर्थ में दोनों के बीच अलंघ्य खाई है।

और वही दोनों के बीच आकर्षण का सेतु भी है।

प्रकृति भिन्नता से आकर्षण निर्मित करती है।

ऐसे आकर्षण का नाम ही काम (Sex ) है।

काम में जीवन-ऊर्जा (Life -Energy) का बहिर्गमन होता है।

साधक इसी ऊर्जा को अन्तरगमन में नियोजित करता है।

लेकिन यह दमन से नहीं होना चाहिए।

दमन विकृति बन जाता है।

ऊर्जा का अन्तरगमन होना चाहिए विधायक (Positive) -- विधायक अर्थात् काम से लड़कर नहीं वरन् राम को चाहकर।

रजनीश के प्रणाम

११/३/१९७१


See also
Ghoonghat Ke Pat Khol ~ 056 - The event of this letter.