Letter written on 18 Mar 1962 om

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This is one of hundreds of letters Osho wrote to Ma Anandmayee, then known as Madan Kunwar Parakh. It was written on 18 Mar 1962 in afternoon.

This letter has been published in Krantibeej (क्रांतिबीज) as letter 7 (edited and trimmed text) and later in Bhavna Ke Bhojpatron Par Osho (भावना के भोजपत्रों पर ओशो) on p 106 (2002 Diamond edition).

The PS reads: "It is confirmed to have conference of 'Bharat Jain Mahamandal' on 7-8 April at Jaipur. The information would have reached you possibly from Shree Deshalhara Ji. When and by which train I will start - that will write to you later."


रजनीश ११५, नेपियर टाउन
जबलपुर (म.प्र.)

प्रिय मां,
एक कागज की नाव पानी में डूब गई है।

कल कुछ रेत के घरोंदे बच्चों ने बनाये थे वे भी मिट गये हैं।

रोज नावें डूबती हैं और रोज घरोंदे टूट जाते हैं।

एक महिला आई थीं। सपने उनके पूरे नहीं हुए हैं। जीवन से मन उनका उचाट है। आत्म हत्या के विचार ने उन्हें पकड़ लिया है। आंखें गड्ढों में चली गई हैं और सब व्यर्थ मालुम होता है।

मैंने कहा : सपने किसके पूरे होते हैं। सब सपने अंततः दुख देते हैं; कारण, कागज की नावें बहीं भी तो कितनी दूर बह सकती हैं? इसमें भूल सपनों की नहीं है। वे तो स्वभाव से ही दुष्पूर हैं। भूल हमारी है। जो सपना देखता है, वह सोया है। जो सोया है उसकी कोई उपलब्धि वास्तविक नहीं है। जागते ही सब पाया, न पाया होजाने को है। सपने नहीं, सत्य देखें। जो है उसे देखें। उसे देखने से मुक्ति आती है। वही नाव सच्ची है – वही जीवन की परिपूर्णता तक ले जाती है।

स्वपनों में मृत्यु है। सत्य में जीवन है।

स्वपन यानी निद्रा। सत्य यानी जागृति। जागें और अपने को पहचानें। जबतक स्वप्न में मन है तबतक जो स्वप्न को देख रहा है वह नहीं दिखता है। वही सत्य है। वही है। उसे पाते ही डूबी नावों और गिर गये घरोंदों पर केवल हंसी मात्र आती है।

दोपहर.
१८ मार्च १९६२

रजनीश के प्रणाम


(पुनश्च : भारत जैन महामंडल का अधिवेशन ७-८ अप्रैल को जयपुर में होना निश्चित हुआ है। निमंत्रण मिला है : संभव है कि सूचना देशलहरा जी से आपको भी पहुँच गई होगी। कब यहां से निकलूँगा, किस ट्रेन से सो आपको बाद में लिखूँगा।)


See also
Krantibeej ~ 007 - The event of this letter.
Letters to Anandmayee - Overview page of these letters.