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Letter written to Ma Yoga Sohan on 20 Sep 1965 in the evening. It is unknown if it has been published or not.
आचार्य रजनीश
प्यारी सोहन,
प्रेम। तेरे पत्र मिले हैं। नगर में ब्लैक आउट से रात्रि बड़ी शांत और सुन्दर होगई है। देरतक बगीचे में बैठा रहता हूँ। अभी अभी उठकर आया हूँ। आकाश खूब चमकते हुए तारों से भरा हुआ है। अकेला तेरी ही जगह बैठा हुआ था। बहुत बार लगने लगताहै कि तू पास ही बैठी है ओर अब कुछ पूछेगी ? माणिक बाबू को प्रेम। बच्चों को आशीष।
रजनीश के प्रणाम
रात्रिः
२०/९/१९६५
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जीवन जागृती केन्द्र : ११५ नेपियर टाउन : जबलपुर (म.प्र.)