Letter written on 26 Dec 1961

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This is one of hundreds of letters Osho wrote to Ma Anandmayee, then known as Madan Kunwar Parakh. It was written on 26th December 1962. The letterhead has a simple "रजनीश" (Rajneesh) in the top left area, in a heavy but florid font, and "115, Napier Town, Jabalpur (M.P.) in the top right, in a lighter but still somewhat florid font.

Osho's salutation in this letter is just a plain "मां", Maan, Mom, Mother. It has a couple of the hand-written marks that have been observed in other letters: a blue number (45) in a circle in the top right corner and a red tick mark. In addition, there is a pale figure of unknown significance in the bottom right corner.

रजनीश
११५, नेपियर टाउन
जबलपुर (म. प्र.)

२६.१२.६१

मां,
रात्रि का घिरता अंधेरा बढ़ता जाता है। सड़को पर कुहासा घिरा हुआ है। बिजली अनायास बंद हो गई है और शहर बहुत ग्रामीण मालुम होरहा है।

एक दीपक जलाकर बैठे हैं : भला-भला लग रहा है।

कुछ लोग एक युवक को लेकर आए हैं। कहते हैं कुछ विक्षिप्त है। युवक की आखें दूर खोई हुई मालुम होती हैं। चेहरे पर भी खोया खोयापन है। मैं उसे निकट ले लेता हूँ। वह थोड़ी देर मुझे देखता है फिर कहता है : “मैं पागल नहीं हूँ, बस जीवन के प्रति मेरी आस्था खो गई है। मुझे आस्था देदें, मैं ठीक ही हूँ।“

युवक ग्रेजुएट है : खूब पढ़ने के भार ने संतुलन मिटा दिया है। और नये तथा कथित क्रांतिकारी विचारों ने जीवन के मूल्य अस्त-व्यस्त कर दिये हैं। यह एक के साथ नहीं, धीरे धीरे सबके साथ होरहा है। सारा युग संतुलन खोरहा है क्योंकि आस्था के आधार के अभाव में संतुलन संभव नहीं है। आस्था न हो तो व्यक्तित्व खंड-खंड होजाता है।

थोड़ी देर सन्नाटा रहा है। मैं युवक से कहा हूँ : “आस्था आजायेगी। बहुत सरल बात है। जरा भी कठिन नहीं है। मार्ग ज्ञात नहीं है इससे उलझन मालुम होती है। जीवन-आस्था पाने से ज्यादा सरल और कोई बात नहीं है। मित्र, मैं जो कहता हूँ करो। करोगे?”

वह स्वीकार में सिर हिलाता है। मैंने कहा : “तुम तो आस्थावान ही लगते हो!” सब हंसते हैं : वह भी हंसता है और उसकी आंखों का तनाव कम होआता है। चेहरे पर हलकापन आगया है। रात्रि निबिड़ हुई जाती है। वे सब जाने के लिए उठ रहे हैं। युवक को मैं द्वार तक पहुँचाता हूँ। उसे मैंने समझाया कि तुम पूर्ण स्वस्थ ही हो, बस इतनी सी बात भूल गए हो इससे कठिनाई पैदा हुई है।

वह विदा लेते समय कह रहा है यह जानकरही कि मैं ठीक हूँ, मैं आधा ठीक होगया हूँ। जीवन पाना सरल है, आनंद, शांति पाना सरल है यह जानकर ही मेरा आधा तनाव चला गया है। मैं स्वस्थ अनुभव कर रहा हूँ।

रजनीश के प्रणाम


See also
Letters to Anandmayee ~ 35 - The event of this letter.
Letters to Anandmayee - Overview page of these letters.