Prem Kya Hai (प्रेम क्या है): Difference between revisions
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Latest revision as of 04:36, 30 March 2019
- "प्रेम करो! प्रेम से जीओ! और प्रेम से जो सहज-स्फूर्त हो, वह शुभ है। लेकिन ऊपर से आचरण आरोपित नहीं होना चाहिए। सुशीला, पुरुषों के शास्त्रों से थोड़ा सावधान रहना। स्त्रियों ने कोई शास्त्र नहीं लिखे, लिखने ही नहीं दिए। पढ़ने नहीं दिए तो लिखने तो क्या देंगे! मनाही कर दी स्त्रियों को कि वेद पढ़ने की मनाही है। कुरान पढ़ने की मनाही है। जब पढ़ने ही नहीं देंगे तो लिखने का तो सवाल ही नहीं उठता।
- अब ये सब जाल तोड़ो, यह पागलपन छोड़ो। प्रेम जरूर करो, लेकिन प्रेम समानता में मानता है और प्रेम स्वतंत्रता में मानता है। प्रेम गुलामी नहीं है। न तो खुद गुलाम होता है प्रेम, न दूसरे को गुलाम बनाता है। प्रेम खुद भी मुक्त होता है, दूसरे को भी मुक्त करता है। प्रेम तो मुक्तिदायी है। प्रेम तो मोक्ष है।" ओशो
- notes
- time period of Osho's original talks/writings
- (unknown)
- number of discourses/chapters
editions
Prem Kya Hai (प्रेम क्या है)
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