Talk:Prem Ke Phool (प्रेम के फूल)

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About the dates for the letters, the final date is not Jun 24 1971. That date belongs to the English letter on the back of Flowers of Love, which is not part of Prem Ke Phool. Neeten's Osho Source Book (Bibliography section) has Nov 26 1970 as the last date, which may be authoritative but i have gone with Dec 7 1970, as that is the last entry for Prem Ke Phool in the Osho Discourses 1970 Timeline page. I have no idea of the source of that but it could well be the book itself or Flowers or A Cup of Tea.


Dec 7 1970 is indeed the last date that is mentioned in the book, ch.44. (Sarlo, see that spreadsheet I sent you 2014-11-17.) --Sugit (talk) 02:40, 7 December 2014 (PST)


And about the subtitle in the Hind Pocket edition, it is not right but will need a higher-res image to make out what it actually is. Best guess at this point is: "Vibhinn mitron va premiyon ko Osho dvaara something gae 150 amrit patron ka sankalan." -- doofus-9 (talk) 23:49, 6 December 2014 (PST)


And now narrowing it down with the final "something" word, likhe, with the remaining ambiguities just normal transliteration variations, eg gaye/gae, dwara/dvaara, etc. So: विभिन्न मित्रों व प्रेमियों को ओशो द्वारा लिखे गए 150 अमृत पत्रों का संकलन. -- doofus-9 16:13, 24 March 2018 (UTC)


TOC (from Shailendra's e-book):

1/ प्रेम के फूल
2/ प्रेम है परमात्मा
3/ प्रेम का मंदिर--निर्दोष, सरल हृदय
4/ प्रेम की सुवास
5/ प्रेम के आंसू
6/ प्रेम की पूर्णता में अहं-विसर्जित
7/ प्रेम--एक से सर्व की ओर
8/ प्रेम संगीत है, सौंदर्य है अतः धर्म है
9/ प्रेम की मिठास
10/ ढाई आखर प्रेम का...
11/ प्यासी प्रतीक्षा--प्रेम की
12/ जीवन की अखंडता
13/ तैरें नहीं, बहें
14/ कूद पड़ो--शून्य में
15/ जीवनः जल पर खींची रेखा-सा
16/ प्रतीक्षा
17/ स्वयं डूब कर सत्य जाना जाता है
18/ योग-अनुसंधान
19/ नीति नहीं, योग-साधना
20/ प्रयोग करें, परिणाम की चिंता नहीं
21/ दर्शन का जागरण
22/ बूंद सागर है ही
23/ निद्रा में जागरण की विधिः जागृति में जागना
24/ साधना में धैर्य
25/ साधना में धैर्य
26/ प्रेम की वर्षा
27/ जहां प्यास है वहां मार्ग भी है
28/ साधना के लिए श्रम और संकल्प
29/ प्रगाढ़ संकल्प
30/ शांति और अशांति सब हमारे सृजन हैं
31/ सेक्स-ऊर्जा का रूपांतरण
32/ स्वयं की कील
33/ वर्तमान में अशेष भाव से जीना
34/ प्रेम के स्वर
35/ अंतर्मिलन
36/ मौन अभिव्यक्ति
37/ प्रार्थना और प्रतीक्षापूर्ण समर्पण
38/ जीवन के अनंत रूपों का स्वागत
39/ जहां प्रेम है, वहीं प्रार्थना है
40/ अनंत प्रतीक्षा ही साधना है
41/ प्रार्थनापूर्ण प्रतीक्षा ही प्रेम है
42/ मैं--एक स्वप्न--एक निद्रा
43/ अनलिखा पत्र
44/ चिंताओं का अतिक्रमण
45/ काम-वृत्ति पर ध्यान
46/ जीओ उन्मुक्त, पल-पल
47/ बिल्कुल ही टूट जा, मिट जा
48/ प्रभु की प्यास
49/ जीवन-दृष्टि
50/ जीवन निष्प्रयोजन है
51/ शून्य ही द्वार है, मार्ग है, मंजिल है
52/ प्राणों की आतुरता
53/ युवक क्रांति दल
54/ जीवन है असुरक्षा--अव्यवस्था
55/ प्रेम के दो रूपः काम और करुणा
56/ सर्व स्वीकार है द्वार प्रभु का
57/ सोचना नहीं। देखना--बस देखना
58/ विरह, प्यास, पुकार और आंसू
59/ दस जीवन सूत्र
60/ सत्य को जीतने की कलाः सब भांति हार जाना
61/ मृत्यु का बोध
62/ अर्थ (उमंदपदह) की खोज
63/ जाग कर देखें--मैं है ही नहीं
64/ खोज--खोज--और खोज
65/ अंतर्वीणा
66/ सपनेः बंद व खुली आंखों के
67/ समाधान की खोज
68/ सत्य है सदा सूली पर
69/ अटूट संकल्प
70/ मुक्ति का संगीत
71/ प्रेम की आग
72/ विचारों की चरम सीमा
73/ खोजो मत--खाओ
74/ वाणी रहित, मांग रहित स्वयं का समर्पण
75/ प्राणों के गीत।
76/ पहले खोजो प्रभु का राज्य
77/ जीवन को नृत्य बना
78/ जहां शिकायत नहीं है, वहीं प्रार्थना है
79/ आंखें खोलो और देखो
80/ समर्पण है द्वार
81/ जीवन में इतना दुख क्यों है?
82/ संदेह नहीं तो खोज कैसे होगी?
83/ मिटो ताकि हो सको
84/ प्रज्ञा पर ज्ञान की धूलि
85/ तैरें नहीं, डूबें
86/ आंखों का खुला होना ही द्वार है।
87/ सत्य की खोज
88/ प्रतिपल मर जाओ
89/ अभय आता है साधना से
90/ आस्तिकता--स्वीकार है, समर्पण है
91/ परमात्मा ही हमारी संपदा है
92/ मैं समस्त से एक हूं
93/ सत्य शब्दातीत है
94/ मनुष्य भी बीज है
95/ न दमन, न निषेध, वरन जागरण
96/ जिन खोया तिन पाइयां
97/ जीवन को ही निर्वाण बनाओ
98/ स्वप्नों से मुक्ति सत्य का द्वार है।
99/ स्वभाव में जीना साधना है।
100/ आत्मनिष्ठा
101/ अनंत आशा ही पाथेय है
102/ संकल्प के पीछे-पीछे आती है साधना
103/ अनासक्ति
104/ बस, परिवर्तन ही एक शाश्वतता है
105/ सहज निवृत्ति--प्रवृत्ति में जागने से
106/ ध्यान--अप्रयास, अनयास से
107/ साक्षी की आंखें
108/ अतः ज्योति
109/ स्वप्निल मूर्च्छा-ग्रंथि
110/ शून्य है द्वार प्रभु का
111/ योग साधना है सम्यक धर्म
112/ प्यास, प्रार्थना, प्रयास और प्रतीक्षा
113/ जीवन-शृंखला की समझ
114/ जीवन-संगीत
115/ छोड़ो स्वयं को और मिटो
116/ प्रेम--अनंतता है
117/ संकल्प और समर्पणरत साधना
118/ अंतस में छिपे खजाने की खुदाई
119/ अंतर्यात्रा--स्वयं में, सत्य में
120/ प्रेम के दिए
121/ प्रेम ही सेवा है
122/ प्रेम शून्य हृदय की दरिद्रता
123/ गागर में प्रेम का सागर
124/ प्रेम की संपदा
125/ परमात्मा है असीम प्रेम
126/ अंसुअन-जल सींचि-सींचि प्रेम-बेलि बोई
127/ प्रभु के लिए पागल हो
128/ समय न खोओ
129/ द्वैत का अतिक्रमण--साक्षीभाव से
130/ जो मिले अभिनय उसे पूरा कर
131/ ध्यान है भीतर झांकना
132/ समर्पण और साक्षी
133/ जो घर बारे आपना
134/ नास्तिकता में और गहरे उतरें
135/ विचारों के पतझड़
136/ समर्पण--एक अनसोची छलांग
137/ परमात्मा है--अभी और यहीं
138/ नेति-नेति... की साधना
139/ स्वयं को पूर्णतया शून्य कर ले
140/ संघर्ष, संकल्प और संन्यास
141/ स्वयं को जन्म देने की प्रसव-पीड़ा
142/ अनंत की यात्रा पर निकलो
143/ शक्ति स्वयं के भीतर है
144/ मिट और जान... खो और पा
145/ श्वास-श्वास में प्रेम हो
146/ संन्यास जीवन का परम भोग है--
147/ संन्यास नया जन्म है।
148/ संसार में संन्यास का प्रवेश
149/ संन्यासी बेटे का गौरव
150/ संन्यास की आत्मा हैः अडिग, अचल और अभय होना

--DhyanAntar 17:13, 3 August 2018 (UTC)