The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
- तंत्र-सूत्र (विज्ञान भैरव तंत्र) भाग दो
- ओशो द्वारा भगवान शिव के विज्ञान भैरव तंत्र पर दिए गए 80 प्रवचनों मे से 17 से 32 प्रवचनों का संकलन।
- translated from
- English : The Book of the Secrets, Vol 2
- notes
- This is the second volume of the five-volume set of Tantra-Sutra (तंत्र-सूत्र) (series), translations from the English series of talks on Vigyan Bhairav Tantra.
- Previously published as Tantra-Sutra, Bhag 3 (तंत्र-सूत्र, भाग तीन) (10 volume set) and Tantra-Sutra, Bhag 4 (तंत्र-सूत्र, भाग चार) (10 volume set).
- Each of the five volumes was subsequently republished under a new title, this one as Sharir Aur Tantra (शरीर और तंत्र). See the series' discussion page for more traces of its elusive publishing history.
- time period of Osho's original talks/writings
- Dec 8, 1972 to Jan 29, 1973 : timeline
- number of discourses/chapters
- 16 (numbered 17-32) (see table of contents)
editions
|
Tantra-Sutra, Bhag 2 (तंत्र-सूत्र, भाग दो) (5 volume set)
- Year of publication : ~1993
- Publisher : Rebel Publishing House
- ISBN
- Number of pages :
- Hardcover / Paperback / Ebook :
- Edition notes :
|
|
Tantra-Sutra, Bhag 2 (तंत्र-सूत्र, भाग दो) (5 volume set)
- Year of publication : ~1999
- Publisher : Rebel Publishing House
- ISBN
- Number of pages :
- Hardcover / Paperback / Ebook :
- Edition notes :
|
|
Tantra-Sutra, Bhag 2 (तंत्र-सूत्र, भाग दो) (5 volume set)
- Year of publication : Dec 2001
- Publisher : Rebel Publishing House Pvt Ltd
- ISBN 81-7261-088-2 (click ISBN to buy online)
- Number of pages :
- Hardcover / Paperback / Ebook : H
- Edition notes :
|
|
Tantra-Sutra, Bhag 2 (तंत्र-सूत्र, भाग दो) (5 volume set)
- Year of publication : 2003
- Publisher : Rebel Publishing House, Pune, India
- ISBN
- Number of pages :
- Hardcover / Paperback / Ebook :
- Edition notes :
|
table of contents
edition 2001.12 chapter titles
|
discourses
|
event
|
location
|
duration
|
media
|
17
|
अचानक रुकने की कुछ विधियां
- २५. रुक जाओ!
२६. कामना का साक्षात्कार करो २७. अपने को थका डालो और जमीन पर गिर पड़ो
|
8 Dec 1972 pm
|
Woodlands, Bombay
|
1h 37min
|
audio
|
18
|
प्रामाणिक होना अत्यंत महत्वपूर्ण है
- १. क्या अभिव्यक्ति की उन्मुक्तता प्रामाणिक होने की ओर एक कदम है?
२. काम-क्रोध आदि पर ध्यान देने से बेचैनी सी क्यों होती है? ३. भावावेग में मूर्च्छा पकड़ती है, तो रुकें कैसे? ४. क्या दीक्षा और गुरु-कृपा विधियों से अधिक महत्वपूर्ण नहीं हैं?
|
9 Dec 1972 pm
|
Woodlands, Bombay
|
1h 30min
|
audio
|
19
|
भक्ति मुक्त करती है
- २८. कल्पना करो कि तुम सारी शक्ति खो चुके हो
२९. भक्ति में डूब जाओ
|
12 Dec 1972 pm
|
Woodlands, Bombay
|
1h 38min
|
audio
|
20
|
शरीर और तंत्र, आसक्ति और प्रेम
- १. क्या प्रेम में सातत्य जरूरी है? और प्रेम कब भक्ति बनता है?
२. तंत्र शरीर को इतना महत्व क्यों देता है? ३. कृपया हमें आसक्ति और स्वतंत्रता के संबंध में कुछ कहें।
|
13 Dec 1972 pm
|
Woodlands, Bombay
|
1h 22min
|
audio
|
21
|
अंतर्यात्रा में आंख के उपयोग
- ३०. आंखों को बंद करके उन्हें स्थिर रखो
३१. किसी विषय को अखंड की भांति देखो ३२. किसी विषय को ऐसे देखो जैसे पहली बार देख रहे हो
|
14 Dec 1972 pm
|
Woodlands, Bombay
|
1h 30min
|
audio
|
22
|
तीसरी आंख और सिद्धियां
- १. देखने की विधियां तीसरी आंख को कैसे प्रभावित करती हैं?
२. सम्मोहन विद्याओं में लगे लोगों की आंखें डरावनी क्यों होती हैं? ३. आंखों की गति रोकने से मानसिक तनाव क्यों होता है?
|
15 Dec 1972 pm
|
Woodlands, Bombay
|
1h 30min
|
audio
|
23
|
शांति और मुक्ति के चार प्रयोग
- ३३. अनंत आकाश को देखो
३४. एक गुह्य विधि ३५. किसी गहरे कुएं में झांको ३६. अपने को पूरी तरह हटा लो
|
16 Dec 1972 pm
|
Woodlands, Bombay
|
1h 28min
|
audio
|
24
|
संदेह और श्रद्धा, मृत्यु और जीवन
- १. क्या मिश्रित ढंग के व्यक्ति को दो भिन्न-भिन्न विधियां करनी चाहिए?
२. जीवन-स्वीकार की दृष्टि रखने वाले तंत्र में मृत्यु-दर्शन का कैसे उपयोग हो सकता है? ३. शरीर के मृतवत होने से मन का रूपांतरण कैसे संभव है?
|
17 Dec 1972 pm
|
Woodlands, Bombay
|
1h 38min
|
audio
|
25
|
शब्द, ध्वनि और अनाहत
- ३७. शब्दों और ध्वनियों के पार
३८. अपने को ध्वनियों के केंद्र में अनुभव करो
|
22 Jan 1973 pm
|
Woodlands, Bombay
|
1h 44min
|
audio
|
26
|
तंत्र : घाटी और शिखर की स्वीकृति
- १. क्या हम सचेतन रूप से वृत्तियों का नियमन और संयमन करें?
२. अराजक शोरगुल को विधायक ध्वनि में कैसे बदलें?
|
23 Jan 1973 pm
|
Woodlands, Bombay
|
1h 18min
|
audio
|
27
|
ध्वनि-संबंधी तीन विधियां
- ३९. किसी ध्वनि का उच्चार करो और उसमें डूब जाओ
४०. शून्य में खोती किसी ध्वनि को सुनते रहो ४१. किसी तार वाले वाद्य को सुनो
|
24 Jan 1973 pm
|
Woodlands, Bombay
|
1h 26min
|
audio
|
28
|
ध्यान : दमन से मुक्ति
- १. दमन इतना सहज सा हो गया है कि हम कैसे जानें कि हममें असली क्या है?
२. कृपया मंत्र-दीक्षा की प्रक्रिया और उसे गुप्त रखने के कारणों पर प्रकाश डालें। ३. सक्रिय ध्यान के अराजक संगीत और पश्चिमी रॉक संगीत में क्या फर्क है?
|
25 Jan 1973 pm
|
Woodlands, Bombay
|
1h 32min
|
audio
|
29
|
ध्वनि से मौन की यात्रा
- ४२. ध्वनि का उपयोग भाव-प्रवेश के लिए करो
४३. अपने मन को जीभ पर एकाग्र करो ४४. संवेदनशील कान वालों के लिए एक विधि
|
26 Jan 1973 pm
|
Woodlands, Bombay
|
1h 31min
|
audio
|
30
|
संभोग, स्वीकार और समर्पण
- १. अगर तंत्र मध्य में रहने को कहता है तो भोग और दमन के फर्क को कैसे समझा जाए?
२. क्या गुरु के प्रति खुले होने और कामवासना के प्रति खुले होने के बीच कोई संबंध है?
|
27 Jan 1973 pm
|
Woodlands, Bombay
|
1h 22min
|
audio
|
31
|
शब्द से शांति की ओर
- ४५. अः से अंत होने वाले किसी शब्द का उच्चार करो
४६. कानों को बंद करना और गुदा को सिकोड़ना ४७. अपने नाम का मंत्र की तरह उपयोग करो
|
28 Jan 1973 pm
|
Woodlands, Bombay
|
1h 33min
|
audio
|
32
|
समर्पण का मार्ग : तंत्र
- १. ये विधियां तंत्र की केंद्रीय विषय-वस्तु हैं या योग की?
२. संभोग को ध्यान कैसे बनाएं? क्या किसी विशेष आसन का अभ्यास जरूरी है? ३. अनाहत नाद कोई ध्वनि है या निर्ध्वनि?
|
29 Jan 1973 pm
|
Woodlands, Bombay
|
1h 18min
|
audio
|