Tirth Se Param Tirth Ki Or (तीर्थ से परम तीर्थ की ओर)

From The Sannyas Wiki
Jump to navigation Jump to search


दो - तीन बाते उल्लेख कर दू, क्योकि ये घटित होती है i जैसे कि आप कही भी जाकर, एकांत में बैठकर साधना करे तो बहुत कम संभावना है कि आपको अपने आस -पास किन्ही दिव्य आत्माओं की उपस्थिति का अनुभव हो, लेकिन तीर्थ में करे तो यह अनुभव बहुत जोर से होगा i आपको उन आत्माओं की उपस्थिति मालुम पड़ेगी - थोड़ी बहुत नहीं, बहुत गहन i यह उपस्थिति कभी इतनी गहन हो जाती है कि आपको अपना होना मालुम पड़ेगा कि कम है और उनकी अनुपस्थिति ज्यादा है i
जैसे कैलाश है i बिल्कुल निर्जन i पर अगर आप में थोड़ी भी ध्यान की क्षमता है, तो आप ध्यान के दौरान पाएगें कि कैलाश निर्जन नहीं, सघन वसा हुआ क्षेत्र है i करीब- करीब नियमित रूप से, कैलाश का ये नियम रहा है कि कम से कम पाँच सौ बुध- सिद्ध तो वहां रहे ही i इन पाँच सौ की उपस्थिति ही कैलाश को तीर्थ बनाती है i यही बात काशी और अन्य तीर्थो के बारे में भी सत्य है i
author
Osho Siddharth
language
Hindi
notes
Available online as PDF on OshoDhara.

editions

तीर्थ से परम तीर्थ की ओर

Year of publication :
Publisher : Oshodhara Nanak Dhyan Mandir
Edition no. :
ISBN
Number of pages : 64
Hardcover / Paperback / Ebook :
Edition notes :