Letter written to Sw Chaitanya Veetaraga on 3 Nov 1970. It is unknown if it has been published or not.
acharya rajneesh
Flat A-1, 1st Floor, Woodland, PEDDAR Road, Bombay-26
382184
मेरे प्रिय,
प्रेम। प्रतिदिन रात्रि में घेर लेनेवाली निद्रा ही अकेली निद्रा नहीं है।
और भी निद्रायें हैं -- मानसिक भी, आध्यात्मिक भी।
उन्हें तोड़ना है।
क्योंकि, सोया मनुष्य मनुष्य ही नहीं है।
वरन् वह पशु से भी बदतर होजाता है।
जबकि जागते ही वह स्वयं ही परमात्मा की गरिमा बन जाता है।
'जीवन जागृति केन्द्र' सोये कानों में ' भोर होने की खबर ' पहुँचाने में सफल होगा ऐसी मैं प्रभु प्रार्थना करता हूँ।
रजनीश के प्रणाम
३/११/१९७०
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- See also
- Letters to Veetaraga ~ 05 - The event of this letter.