Aatmashuddhi Ke Sutra (आत्मशुद्धि के सूत्र)
Jump to navigation
Jump to search
- महावीर-वाणी के इस दूसरे खंड की शुरुआत होती है। ‘आयश्चित पहला अंतर-तप’ से। इस प्रकार ये धम्म–सूत्र विनय, वैयावृत्य और स्वाध्याय, सामायिक, कायोत्सर्ग, धर्म एकमात्र शरण और धर्म का मार्ग सत्य का सीधा साक्षात करते हुए पूरे होते हैं भगवान महावीरके मार्ग पर ये समस्तसूत्र पुरुषार्थके सूत्र है, संकल्प की साधना के सूत्र हैं स्वयं को सब प्रकार के प्रमाद से, सब प्रकारके विकारों से, विजातीय तत्वों से शुद्ध कर लेना-वही आत्मशुदि्ध है, वही स्वध्याय है। इस पुस्तक में महावीर-वाणी पर प्यारे सद्गुरु ओशो द्वारा दिए गए कुल 54 प्रवचनो में से 14 (प्रवचन से 27) अमृत प्रवचनों का संकलन है।
- notes
- Originally published as ch.14-18 of Mahaveer-Vani, Bhag 1 (महावीर-वाणी, भाग 1) and ch.1-9 of Mahaveer-Vani, Bhag 2 (महावीर-वाणी, भाग 2).
- Previously published as ch.14-27 of Mahaveer-Vani, Bhag 1 (महावीर-वाणी, भाग 1) ver 1.5.
- time period of Osho's original talks/writings
- (unknown)
- number of discourses/chapters
- 14?
editions
Aatmashuddhi Ke Sutra (आत्मशुद्धि के सूत्र)
| |
Aatmashuddhi Ke Sutra (आत्मशुद्धि के सूत्र)
|