Letter written on 11 Jul 1965: Difference between revisions

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Letter written to [[Ma Yoga Sohan]] on 11 Jul 1965 and sent from Kareli. It is unknown if it has been published or not.


Letter written to [[Ma Yoga Sohan]] on 11 Jul 1965 and sent from Kareli. It is unknown if it has been published or not. We are awaiting a transcription and translation.
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जीवन जाग्रति केंद्र<br>
११५,नेपियर टाउन<br>
जबलपुर (म.प्र.)
 
आचार्य रजनीश
 
प्रवास से --<br>
करेलीः ११/७/१९६५
 
प्यारी सोहन,<br>
मैं अभी अभी यहां पहुँचा हूँ और रात्रि बोलकर रात्रि ही वापिस लौट जाऊँगा। तेरा और माणिक बाबू का पत्र मिल गया था। लोग चले गये हैं और मैं विश्रामगृह में अकेला हूँ। प्यास लगी है। उठकर पानी पीऊँ कि उसके पहले तेरा स्मरण आगया है। उस दिन सुन्दराबाई हाल में मैं बोलने के बाद बहुत प्यासा था और तू बंद व्दार के बाहर मेरे लिए पानी लिए खड़ी थी। व्दार तो अभी भी बंद है लेकिन बहार कोई पानी लिए नहीं खड़ा है ! किसी को बुलाने के लिए सोचता हूँ तो तेरा नाम ओठों पर आजाता है। फिर, मन हुआ कि पहले तुझे पत्र लिखदूँ और बादमें पानी की फिक्र करूँगा।
 
माणिक बाबू को प्रेम। बच्चों को आशीष।
 
रजनीश के प्रणाम
 
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Revision as of 04:13, 24 February 2020

Letter written to Ma Yoga Sohan on 11 Jul 1965 and sent from Kareli. It is unknown if it has been published or not.

जीवन जाग्रति केंद्र
११५,नेपियर टाउन
जबलपुर (म.प्र.)

आचार्य रजनीश

प्रवास से --
करेलीः ११/७/१९६५

प्यारी सोहन,
मैं अभी अभी यहां पहुँचा हूँ और रात्रि बोलकर रात्रि ही वापिस लौट जाऊँगा। तेरा और माणिक बाबू का पत्र मिल गया था। लोग चले गये हैं और मैं विश्रामगृह में अकेला हूँ। प्यास लगी है। उठकर पानी पीऊँ कि उसके पहले तेरा स्मरण आगया है। उस दिन सुन्दराबाई हाल में मैं बोलने के बाद बहुत प्यासा था और तू बंद व्दार के बाहर मेरे लिए पानी लिए खड़ी थी। व्दार तो अभी भी बंद है लेकिन बहार कोई पानी लिए नहीं खड़ा है ! किसी को बुलाने के लिए सोचता हूँ तो तेरा नाम ओठों पर आजाता है। फिर, मन हुआ कि पहले तुझे पत्र लिखदूँ और बादमें पानी की फिक्र करूँगा।

माणिक बाबू को प्रेम। बच्चों को आशीष।

रजनीश के प्रणाम


See also
Letters to Sohan ~ 022 - The event of this letter.
Letters to Sohan and Manik - Overview page of these letters.