Letter written on 10 Oct 1966 am: Difference between revisions
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आचार्य रजनीश | |||
प्यारी सोहन,<br> | |||
प्रेम। | |||
तेरा पत्र नहीं है ? | |||
रोज प्रतीक्षा करता हूँ। | |||
'ज्ञानोदय' में अक्टूबर के अंक में तेरा एक पत्र छापा हैः ' स्वंत्रतता और सत्य ? ' | |||
मैं कल औरंगाबाद जारहा हूँ। तुझे वहां बुलाता लेकिन फिर जल्दी ही तुझे माथेरान भी आना है, इसलिए किसी भांति अपने आपको समझा लिया है। | |||
फिर " बच्चे भी छोटे - छोटे और घर को भी अकेला छोड़ना " अदि - अदि बातें भी तो हैं ! | |||
शेष शुभ। | |||
माणिक बाबू को प्रेम। | |||
बच्चों को स्नेह। | |||
शायद,आज की डाक में तेरा पत्र हो। डाकिया-भगवान की राह देख रहा हूँ। | |||
रजनीश के प्रणाम | |||
प्रभातः<br> | |||
१०/१०/१९६६ | |||
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जीवन जागृती केन्द्र : ११५ नेपियर टाउन : जबलपुर (म.प्र.) | |||
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Revision as of 05:30, 8 March 2020
Letter written to Ma Yoga Sohan on 10 Oct 1966 in the morning. It is unknown if it has been published or not.
आचार्य रजनीश प्यारी सोहन, तेरा पत्र नहीं है ? रोज प्रतीक्षा करता हूँ। 'ज्ञानोदय' में अक्टूबर के अंक में तेरा एक पत्र छापा हैः ' स्वंत्रतता और सत्य ? ' मैं कल औरंगाबाद जारहा हूँ। तुझे वहां बुलाता लेकिन फिर जल्दी ही तुझे माथेरान भी आना है, इसलिए किसी भांति अपने आपको समझा लिया है। फिर " बच्चे भी छोटे - छोटे और घर को भी अकेला छोड़ना " अदि - अदि बातें भी तो हैं ! शेष शुभ। माणिक बाबू को प्रेम। बच्चों को स्नेह। शायद,आज की डाक में तेरा पत्र हो। डाकिया-भगवान की राह देख रहा हूँ। रजनीश के प्रणाम प्रभातः _______________________________________ |
- See also
- Letters to Sohan ~ 080 - The event of this letter.
- Letters to Sohan and Manik - Overview page of these letters.