Jabse Dekha TuNe Osho (music album): Difference between revisions
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Revision as of 11:14, 21 December 2019
- Jabse Dekha TuNe Osho - जबसे देखा तूने ओशो
- Osho Birthday Celebration 11 Dec. 2018
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- Writers
- Sw Neelanchal ओशो नीलांचल - songs 4, 5 and 9
- Sw Pramod ओशो प्रमोद - song 6
- Sw Shailendra Saraswati ओशो शैलेन्द्र - songs 3 and 7
- Sw Anand Siddharth ओशो सिद्धार्थ - songs 1, 2 and 8
- Artists
- Ma Amrit Priya मा ओशो प्रिया - singer in all songs except 7
- Sw Shailendra Saraswati ओशो शैलेन्द्र - singer in songs 4 and 7
- Recorded
- songs 1 - 7: 2018 at Gurdeep Studio, Delhi (India);
- songs 8 and 9: before Dec. 2018 with Alok & Siddhant, Soul of Strings, Delhi
- Released
- 2018-12-11, except songs 8 and 9: earlier in 2018
- Length
- 1:23:33
Tracks - full length
Introduction: an Osho quote from Jas Panihar Dhare Sir Gagar (जस पनिहार धरे सिर गागर), chapter 10, see below | ||
01 | Jabse Dekha TuNe Osho 9:13 - जबसे देखा तूने ओशो | |
02 | Meri Zindagi Ki Dhoop 9:57 - मेरी जिन्दगी की धूप | |
03 | Osho Ke Premiyon Ka 11:43 - ओशो के प्रेमियों का | |
04 | Prem Ke Devta Osho 11:39 - प्रेम के देवता ओशो | |
05 | Hawaon Mein Osho 12:57 - हवाओं में ओशो | |
06 | Tu Bemishal Osho 9:52 - तू बेमिसाल ओशो | |
07 | Panchhi Ko Apne Pankhon 9:39 - पंछी को अपने पंखों | |
08 | Khud Ke Khilne Ka - ख़ुद के खिलने का | |
09 | Shree Krishna Ki Vanshi 5:42 - श्री कृष्ण की वंशी |
जस पनिहार धरे सिर गागर-10
- Introduction: an Osho quote from Jas Panihar Dhare Sir Gagar (जस पनिहार धरे सिर गागर), chapter 10
- छठवां प्रश्नः जिस दिन आपने नदी-नाव-संयोग की चर्चा की उस दिन संसार छूट गया। और जब आपने अपने जन्म-दिन पर इस भक्त को अनिमेष नयन से निहारा तब से आपका मोह भी छूट गया। आप इस कदर मुझमें उतर गए हैं कि उसको कहने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। मैं बस आपकी ही हो गई हूं। और आप मेरे भीतर विराजमान हो गए हैं। किसको धन्यवाद दूं? मैं लायक तो नहीं हूं तो भी आपकी कृपा बरसती रहती है।
- पूछा है तरु ने।
- मैं देखता रहता हूं किसमें क्या हो रहा है। चुपचाप देखता रहता हूं किसमें क्या हो रहा है। वही मेरा दायित्व है, जिस दिन मैं तुम्हें संन्यास देता हूं उस दिन से मेरे ऊपर आया। उस दिन से मेरी नजर तुम्हारा पीछा करती है।
- जो संन्यासी नहीं हैं उनके लिए मैं यह नहीं कह सकता। लेकिन जिन्होंने संन्यास लिया है, जिन्होंने मेरे साथ पागल होने की झंझट ली है उनका पीछा तो मेरी नजर करती ही रहती है। तरु ठीक कह रही है।
- अगर तुमने मुझे ठीक से समझने की कोशिश की, ठीक से सुना भी तो कई बातें होने लगेंगी जो तुम्हें करने की जरूरत नहीं है। क्योंकि ठीक-ठीक किसी बात को देख लेना उस बात का हो जाना भी है।
- तरु कहती है, जिस दिन आपने नदी-नाव-संयोग की चर्चा की...वह दिन मुझे याद है। उस दिन मैंने उसे टूटते देखा।
- ‘और जब आपने जन्म-दिन पर इस भक्त को अनिमेष नयन से निहारा तब से आपका मोह छूट गया।’ छूट ही जाना चाहिए।
- तुम्हारा मुझसे मोह बन जाए तो यह मोह का नया ढंग हुआ। ध्यान रखना, प्रेम मोह नहीं है। और जहां मोह है वहां प्रेम कहां है? प्रेम बड़ी और बात है। प्रेम और ही लोक है। मोह में पकड़ने की इच्छा है। प्रेम में कोई इच्छा नहीं। जैसा है वैसा ठीक है ऐसा प्रेम में भाव है। जो है, सब सुंदर है। जो होगा सुंदर होगा, ऐसी श्रद्धा है।
- शिष्य और गुरु जहां मिलते हैं वहीं परमात्मा का आविर्भाव है। जहां शिष्य और गुरु दोनों शून्य होकर एक दूसरे में लीन हो जाते हैं वहीं पूर्ण का दीया जलता है।
Editions
2018
- Label (Distributor) :
- Format : MP3
- Artwork :