Samadhi Ka Vigyan (समाधि का विज्ञान): Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
Dhyanantar (talk | contribs) (Created page with "{{sanbook| description =वस्तुतः यात्रा सत्सग से शुरू हैती है। विभिन्न स¨पानों को...") |
Dhyanantar (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 2: | Line 2: | ||
description =वस्तुतः यात्रा सत्सग से शुरू हैती है। विभिन्न स¨पानों को पार कर के समाधि तक पहुचती है। और अन्तिम चरण है सुमिरन। आठ¨ पहर उसी के सुमिरन मे जब जीते है तो धन्य है जाता है तुम्हारा जीवन और पूरा है जाता है वों परम उद्देश्य जिसके लिये तुमने मानव जीवन धारण किया, इसी की विस्तृत व्याख्या करती है यह पुस्तक। | description =वस्तुतः यात्रा सत्सग से शुरू हैती है। विभिन्न स¨पानों को पार कर के समाधि तक पहुचती है। और अन्तिम चरण है सुमिरन। आठ¨ पहर उसी के सुमिरन मे जब जीते है तो धन्य है जाता है तुम्हारा जीवन और पूरा है जाता है वों परम उद्देश्य जिसके लिये तुमने मानव जीवन धारण किया, इसी की विस्तृत व्याख्या करती है यह पुस्तक। | ||
| | | | ||
author= [[Sw Anand Siddharth (Indian | author= [[Sw Anand Siddharth (Indian)|Osho Siddharth]] | | ||
language = Hindi | | language = Hindi | | ||
notes =Available online as PDF on [http://oshodhara.org.in/Trivir_Books.php OshoDhara]. | | notes =Available online as PDF on [http://oshodhara.org.in/Trivir_Books.php OshoDhara]. | |
Revision as of 11:30, 18 January 2021
- वस्तुतः यात्रा सत्सग से शुरू हैती है। विभिन्न स¨पानों को पार कर के समाधि तक पहुचती है। और अन्तिम चरण है सुमिरन। आठ¨ पहर उसी के सुमिरन मे जब जीते है तो धन्य है जाता है तुम्हारा जीवन और पूरा है जाता है वों परम उद्देश्य जिसके लिये तुमने मानव जीवन धारण किया, इसी की विस्तृत व्याख्या करती है यह पुस्तक।
- author
- Osho Siddharth
- language
- Hindi
- notes
- Available online as PDF on OshoDhara.
editions
समाधि का विज्ञान
| |
समाधि का विज्ञान
|