Letter written on 11 Dec 1959: Difference between revisions

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:पुनश्च :
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:उस झंझट को बेच डाला सो अच्छा किया।
:उस झंझट को बेच डाला सो बहुत धन्यावाद)।


:रजनीश  
:रजनीश  

Revision as of 16:42, 4 May 2021

Letter to Gulab Bhai Soni, Gadarwara, written from Jabalpur on December 11, 1959. It is unknown if it was published.

प्रिय गुलाब भाई,
आपका पत्र : खुशी हुई। मैं सर्व-धर्म-सम्मेलन में राह देखता रहा; आते तो अच्छा होता : 'सम्मेलन' तो बहाना था 'आना' ही अपने आप में महत्वपूर्ण था। कृष्णा जी चर्चा के विषय बनें यह अच्छा ही है : सोचने योग्य धक्का भी उनसे लगे तो उसे बड़ी क्रांति मानना चाहिए। जीवन के प्रति उनका दृष्टि-कोण इतना नवीन और मौलिक है कि उसे एकदम से समझ पाना भी सरल नहीं है पर वह यदि समझ आया तो उसके प्रत्यक्ष परिणाम आचरण पर हुए बिना नहीं रह सकते हैं। जमना से थोड़ी सी बातें हुई हैं; वह संतुष्ट है तो बड़ी खुशी की बात है। उसके मन में जैसी तीव्र और सच्ची जिज्ञासा है वैसी बहुत कम लोगों में देखने में आती है। उसकी जिज्ञासा ऐसी ही बनी रही तो उसे मार्ग मिल जाना निश्चित है। सब को मेरे प्रणाम कहिए।
रजनीश के प्रणाम
११-१२-५९

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पुनश्च :
उस झंझट को बेच डाला सो बहुत धन्यावाद)।
रजनीश
सेवा में,
श्री गुलाब भाई सोनी,
जवाहर गंज,
गाडरवारा (म. प्र.)
जिला : नरसिंहपुर (म. प्र.)


Note: Round postal ink stamp on right shows: Posted at Jabalpur on 11-12-59 and Round postal ink stamp on left shows: Received at Gadawara on 12-12-59.