Talk:Lagan Mahurat Jhooth Sab (लगन महूरत झूठ सब): Difference between revisions

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:2. कच्ची कंध उते काना ऐ
:2. कच्ची कंध उते काना ऐ
:3. मैं सदैव परम, प्रत्यक्ष व उपलब्ध हूं
:3. मैं सदैव परम, प्रत्यक्ष व उपलब्ध हूं
:4. संसार से पलायान नहीं, मन का रूपांतरण
:4. संसार से पलायन नहीं, मन का रूपांतरण
:5. मेरे संन्यासी तो मेरे हिस्से हैं
:5. मेरे संन्यासी तो मेरे हिस्से हैं
:6. अद्वैत की अनुभूति ही संन्यास है
:6. अद्वैत की अनुभूति ही संन्यास है

Revision as of 04:26, 17 July 2018

प्रवचन (TOC):
1. यह क्षण है द्वार प्रभु का
2. कच्ची कंध उते काना ऐ
3. मैं सदैव परम, प्रत्यक्ष व उपलब्ध हूं
4. संसार से पलायन नहीं, मन का रूपांतरण
5. मेरे संन्यासी तो मेरे हिस्से हैं
6. अद्वैत की अनुभूति ही संन्यास है
7. गुरु स्वयं को भी उपाय बना लेता है
8. सवाल अहिंसा का नहीं, कोमलता का
9. योग ही आनंद है
10. समर्पण ही सत्संग है

Shailendra states for ch.3 another title - "मैं सदैव परम, प्रत्यक्ष और लब्ध हूं" (which edition? - unknown).
Added missing title for ch.8 --DhyanAntar 18:57, 16 July 2018 (UTC)