Letter written to Ma Yoga Sohan on 2 Jul 1965 in the midnight. It is unknown if it has been published or not.
आचार्य रजनीश
प्रिय सोहन,
प्रेम। सुबह तेरा पत्र मिला। स्वयं को तूने शबरी लिखा है। यह तो अच्छा किया अब जूठे बेर मुझे खिलाने पड़ेंगे ? मैं तो बहुत खुश हूँ क्योंकि वैसे बेर मुश्किल से कभी किसी को उपलब्ध होते हैं !
यशा को मेरा प्रेम लिखना। ' मीरा ' सकुशल पहुँच गईं हैं ! उसे लिखना कि कभी कभी मुझे पत्र दे / पता भी उसे भेज देना। जया को लिखो तो उन्हें भी मेरा प्रेम कहना।
माणिक बाबू कैसे हैं ? उन्हें भी मेरी यद् दिला देना। बच्चों को आशीष।