Letter written to Ma Yoga Sohan on 1 Jul 1965. It is unknown if it has been published or not.
आचार्य रजनीश
प्यारी सोहन,
मैं कल चांदा से वापिस लौट आया हूँ। वहां सब तेरी याद करते थे। आते ही लिख़ने की सोचता था लेकिन नहीं लिख पाया। उसके दंड स्वरूप बहुत से विचार-पत्र आज इकठ्ठे ही लिख रहा हूँ !
मैं बहुत आनंद में हूँ। तेरे पत्र आते ही खोजे। मिल गये तो कितनी ख़ुशी हुई ? माणिक बाबू को प्रेम। बच्चों को आशीष। यात्रा में तेरी बहुत याद आती थी। फिर सोचा कि अब जल्दी ही तो तू मिल जाने को है ?