Tantra: Sarvochch Samajh (तंत्र : सर्वोच्च समझ)
- द्वतंत्र की दृष्टि तिलोपा की आत्मा है। सबसे पहले तुम्हें तंत्र की दृष्टि को समझना पड़ेगा, तभी यह संभव हो सकेगा कि तिलोपा जो कहने की कोशिश कर रहा है, उसे तुम समझ सको। इसलिए पहले कुछ बातें तंत्र की दृष्टि के बारे में - पहली बात: वह कोई दृष्टि नहीं है, क्योंकि तंत्र जीवन को समग्र दृष्टि से देखता है। उसकी कोई विशेष दृष्टि नहीं है जीवन को देखने के लिए। उसकी कोई धारणा नहीं है, कोई दर्शनशास्त्र नहीं है। उसका कोई धर्म भी नहीं है। वह जीवन को किसी दर्शन, किसी सिद्धांत तथा शास्त्र के बिना देखना चाहता है। वह चाहता है कि जीवन को देखे, जैसा वह है, बिना मन को बीच में लाए, क्योंकि मन उसमें कुछ जोड़ देगा, और तब तुम उसके सही रूप को जान सकोगे।
- translated from
- English: Tantra: The Supreme Understanding
- translated by Chaitanya Bodhisatva
- notes
- time period of Osho's original talks/writings
- (unknown)
- number of discourses/chapters
- 10
editions
Tantra: Sarvochch Samajh (तंत्र : सर्वोच्च समझ)तिलोपा - वाणी पर प्रवचन (Tilopa - Vani Par Pravachan)
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