Undated Letter written to Sohan 01
Letter written to Ma Yoga Sohan and is undated. See Talk:Letters to Sohan and Manik.
It is unknown if it has been published or not.
आचार्य रजनीश प्रिय बहिन, सौराष्ट्र का प्रवास बहुत सफल हुआ है। जूनागढ़ के पास एक शिविर के लिए भी बहुत आग्रहपूर्ण निमंत्रण मिला है। संभव है की जल्दी ही वहां शिवी लूं। सौराष्ट्र की भावभूमि बहुत उर्वर मालूम हुई है। शेष सुभ। यहाँ लौट आता हुं तो तुझसे मिलना कब होगा उस तिथि की प्रतीक्षा पुन: प्रारम्भ हो जाती है। प्रतिबार तुझे विकास की नई सीढ़ियों पर देखकर ह्रदय बहुत आनंदित होता है। माणिक बाबू को प्रेम। बच्चो को आशीष। रजनीश के प्रणाम |
- See also
- Letters to Sohan ~ 101 - The event of this letter.
- Letters to Sohan and Manik - Overview page of these letters.