Letter written to Ma Yoga Sohan on 3 Aug 1965. It is unknown if it has been published or not.
फोन : १३९
तार : 'राजा'
स त् सं ग
(मनुष्य के आध्यात्मिक पुनरुत्थान के लिए समर्पित-मासिक)
प्रेरकः
आचार्य श्री रजनीश
संपादकः
डा (सेठ) गोविन्दास
राजा गोकुलदास महल
जबलपुर (म.प्र.)
प्रिय बहिन,
प्रेम। तेरे दोनों पत्र और माणिक बाबू का पत्र मिला।
बहुत ख़ुशी हुई। मैं जानता था कि तू मुझे विदा करने बम्बई आना चाहेगी, इसलिए ही मैं मना भी कर आया था। इतनी सी देर के लिए तुझे इतनी दूर भटका सकूँ ----ऐसा कठोर कैसे होसकता हूँ ? शेष शुभ। मैं आनंद में हूँ और तू आनंद में रहे, इसकी कामना करता हूँ।