प्यारी सोहन,
प्रेम ! तेरे तार की प्रतीक्षा थी। चिन्ता भी थी कि इतनी देर क्यों हो गई है ? फिर कल तार मिला और माणिक बाबू का पत्र भी। आशा करता हूँ कि तेरी वापसी यात्रा सकुशल ही हुई होगी।
मैं १३ दिस. को १० बजे सुबह मनमाड़ पहुँचूंगा। वहां से कार से १ बजे तक नगर। तू मुझे वहां मिलेगी ही। श्री. कुं. सो. फीरोदिया के बंगले पर मेरे ठहरने की व्यवस्था की है।