Osho Siddharth: Ek Sadguru Ki Jeevan Yatra (ओशो सिद्धार्थ : एक सद्गुरु की जीवन यात्रा)
- हम सभी बचपन से ही राम और कृष्ण के अवतरण की कथाए सुनते आए है I इन कथाओं में अवतारों के माता-पिता ऐसे भक्त थे, जिन्होंने अपने प्रभु को, अपने प्रभु से ही पुत्र के रूप में पाने की कामना कर दी थी I भक्तवत्सल परमात्मा क्या कभी ना कर सकता है ? ऐसे ही परमभक्त माता-पिता के जन्म -जन्मान्तरों का पूण्य उदित होता है, जब उनके घर किसी महान चेतना का जन्म होता है I
- बिहार प्रान्त की पावन मिटटी में बुद्ध, महावीर, दरिया के रूप में प्रभु का अवतरण हुआ I इस मिटटी ने राम के पदकमल चूमे थे I यह पावन धरती पुनः अपने प्रभु के आगमन के लिए प्रतीक्षा में रत थी माँ देशरानी और पिता पृथ्वीनाथ सिंह I बचपन से ही माता देशरानी एक प्यारा भजन गाती, " शवरी घर होवई सगुनवा, आज घर राम अयहै ना I "
- ..और उनके घर सचमुच ही राम आ गए, उन्ही के पुत्र बनकर, वीरेन्द्र कुमार सिंह के रूप में, जो आगे चलकर बने - ओशो सिद्धार्थ I
- सद्गुरु ओशो सिद्धार्थ जी का अवतरण दिनांक २३ सितंबर १९४२ को बिहार प्रान्त के आरा जनपद (वर्तमान में रोहतास जिला ) के कर्मा ग्राम में हुआ I पिता पृथ्वीनाथ सिंह एवं माता देशरानी जी के घर राम ने पुनः जन्म लिया I
- author
- Osho Devendra
- language
- Hindi
- notes
- Available online as PDF on OshoDhara.
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ओशो सिद्धार्थ : एक सद्गुरु की जीवन यात्रा
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