Jin-Sutra, Bhag 4 (जिन-सूत्र, भाग चार) (4 volume set)
- इस जगत की सबसे अपूर्व घटना है किसी व्यक्ति का सिद्ध या बुद्ध हो जाना। इस जगत की अनुपम घटना है किसी व्यक्ति का जिनत्व को उपलब्ध हो जाना, जिन हो जाना। उस अपूर्व घटना के पास जला लेना अपने बुझे हुए दीयों को। अवसर देना अपने हृदय को, कि फिर धड़क उठे उस अज्ञात की आकांक्षा से, अभीप्सा से।...महावीर के इन सूत्रों पर बात की है इसी आशा में कि तुम्हारे भीतर कोई स्वर बजेगा, तुम ललचाओगे, चाह उठेगी, चलोगे। ओशो
- notes
- Talks on Mahaveer.
- This is the last volume of 4. Previously published as ch.17-31 of Jin-Sutra, Bhag 2 (जिन-सूत्र, भाग दो).
- time period of Osho's original talks/writings
- Jul 27, 1976 to Aug 10, 1976 : timeline
- number of discourses/chapters
- 15 (numbered 48-62) (see discussion for TOC)
editions
Jin-Sutra, Bhag 4 (जिन-सूत्र, भाग चार) (4 volume set)
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