Bhavna Ke Bhojpatron Par Osho (भावना के भोजपत्रों पर ओशो): Difference between revisions
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Revision as of 13:04, 19 December 2019
- 'भावना के भोजपत्रों पर ओशो' पत्रावली शिल्प में गढ़ा एक उपनिषद है कहने को तो ये एक पुत्र के मां के नाम लिखे पत्र हैं परंतु इनमें कृष्ण-अर्जुन संवाद की सुंगध है और जनक-अष्टावक्र वार्तालाप की सारगर्भिता है। आप इन पत्रों को पढ़ेंगे तो कभी अपने हृदय मंदिर से निकाल नहीं पायेंगे।
- इन पत्रों के केंद्र में एक दिव्यता है, एक साधना है और एक सिद्धि है। मां आनंदमयी के रूप में ओशो को ऐसी प्रेरणा मिली थी जिसने पूरे जगत को आलोकित कर दिया। ओशो की लेखनी इन पत्रों में व्यक्तित्व और कृतित्व की उस पराकाष्ठा को छू जाती है।
- जो बिरले ही देखने को मिलती है। भावनाओं की इस अखंडित और अक्षत श्रृंखला में व्यक्ति को अपने भीतर लुप्त संभावनाओं की आहट सुनाई देगी।
- notes
- Letters to Ma Anandmayee, likely scattered over many years.
- time period of Osho's original talks/writings
- 1960-1971? : timeline
- number of discourses/chapters
editions
Bhavna Ke Bhojpatron Par Osho (भावना के भोजपत्रों पर ओशो)
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