Boojhe Birla Koi (बूझे बिरला कोई)

From The Sannyas Wiki
Revision as of 04:51, 10 November 2018 by Dhyanantar (talk | contribs)
Jump to navigation Jump to search


इस पुस्‍तक का नाम ‘बुझे बिरला कोई’ कबीर के एक पद का सूत्र का है। रहस्‍यदर्शी कबीर स्‍वयं एक रहस्‍य हैं-एक ऐसा रहस्‍य, जिसे कोई विरला व्‍यक्ति ही बूझ सकता है, विरला व्‍यक्ति, जो कबीर की ही अवस्‍था में पहुंच गया हो। ओशो ऐसे ही अबूझ्‍ व्‍यक्तिहैं अष्‍टावक्र, बुद्ध, महीवीर, गोरख नानक, कबीर, मीरा, रैदास, ये सब संबुद्ध् रहस्‍यदर्शी पूरी मनुष्‍य-जाति के अबूझ लोग हैं,जो सनातन काल से हमें अपने अबूझ्‍ जगत की ओर आकर्षित करते रहे हैं। अपने मीठे प्रवचनों के माध्‍यम से ओशो उस अबूझ जगत् में हमारा आह्वान करते हैं, जिसकी अभिव्‍यक्ति कबीर ने उलटबांसियों के माध्‍यम से की है- इस पुस्‍तक में कबीर-वाणी पर ओशो द्वारा दिए गए प्रवचनों में पांच प्रवचनों का संकलन प्रस्‍तुत है।
notes
Previously published as Kahai Kabir Diwana (कहै कबीर दीवाना), ch.6-10.
time period of Osho's original talks/writings
(unknown)
number of discourses/chapters
5


editions

Boojhe Birla Koi (बूझे बिरला कोई)

Year of publication : 2006
Publisher : Diamond Pocket Books
ISBN 81-7182-828-0 (click ISBN to buy online)
Number of pages : 176
Hardcover / Paperback / Ebook : P
Edition notes :