Jeevan Kya Hai? (जीवन क्या है?): Difference between revisions

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जन्म मिलता है, जीवन खोजना पड़ता है। जीवन की खोज एक कला है... सदी के सर्वाधिक लोकप्रिय रहस्यवादी धर्म - गुरु ओशो ने अपने प्रवचनों में लोगों की भीरुताओं की क़लइयां खोली हैं। उन्हें चेतना की सभी परतों पर झकझोरा है और उनसे सीधे - सीधे सवाल पूछे हैं। ओशो बताते हैं कि - हम सारे लोग सोचते हैं कि हम जानते हैं कि हम कौन हैं और झूठे ज्ञान की वजह से ही जीवन के सत्य को उपलब्ध नहीं हो पाते, न जीवन के आनन्द को... एक बुनियादी भूल हो जाती है कि हमने यह मान लिया है कि हम जानते हैं - जीवन क्या है?, हम कौन हैं? ओशो कहते हैं - जीवन एक प्रश्न बनना चाहिए। अपनी जि़न्दगी को एक प्रश्न बनाइए। कठिनाई होगी? बेचैनी होगी, ...लेकिन इस प्रश्न की बेचैनी बड़ी सार्थक है, अगर यह प्रश्न बेचैन कर दे, तो हम बहुत शीघ्र जीवन के द्वार पर भी पहुंच सकते हैं। अगर यह प्रश्न पूरे प्राणों को मथ डाले, तो वह अमृत भी निकल सकता है, जो प्रश्न से निकलता है।
notes
time period of Osho's original talks/writings
(unknown)
number of discourses/chapters


editions

Jeevan Kya Hai? (जीवन क्या है?)

Year of publication : 2005
Publisher : Hind Pocket Books
ISBN 978-81-216-1052-0 (click ISBN to buy online)
Number of pages : 264
Hardcover / Paperback / Ebook : P
Edition notes :