Letter written on 16 Jun 1968

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Letter written to Ma Yoga Sohan on 16 Jun 1968. It is unknown if it has been published or not.

प्यारी सोहन,
प्रेम। मैं उदयपुर से लौटा तो पता चला कि तेरा फोन था। उदयपुर तो पहुँचकर तेरी याद आती ही है। इस बार तो जहां ठहरा वहां एकलिंग जी से इतना साम्य था कि बार बार मन पुकारने लगा : सोहन -- सोहन -- सोहन। लेकिन तू है ऐसी कठोर कि बिल्कुल बहरी होगई और फिर मुझे थककर चुप होने के अतिरिक्त कोई चारा ही न रहा ! और देख ! नहीं सुना तो नहीं सुना लेकिन अब रोने मत बैठ जाना !

माणिक बाबू कैसे हैं ?

तू अब कब मिलेगी ?

मेरे पूना आने में तो शायद बहुत देर है ?

वहां सबको प्रणाम।

बच्चों को प्रेम।

रजनीश के प्रणाम

१६/६/१९६८


See also
Letters to Sohan ~ 095 - The event of this letter.
Letters to Sohan and Manik - Overview page of these letters.