Letter written on 16 Oct 1966 xm: Difference between revisions
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आचार्य रजनीश | |||
115, Napier Town, Yogesh Bhavan, Jabalpur (M.P.) | |||
१६/१०/१९६६<br> | |||
रात्रि - | |||
प्यारी सोहन,<br> | |||
मैं आज ही औरंगाबाद से लौटा हूँ, वहां चन्दन ने सिरील को भेजा था। उनसे तेरे सब समाचार मिल गये थे। | |||
मेरा स्वास्थ्य ठीक है। थोड़ी सी सर्दी होगई थी और उसका ही प्रचार होगया। और ,प्रचार की तो बड़ी महिमा है न ? | |||
पूना अभी नहीं आ पा रहा हूँ, इससे मैं भी उदास हूँ। नवम्बर में २२, २३, २४ बम्बई में महिलाओं का शिविर है। उसके पूर्व दो दिन के लिए पूना आऊँगा। वहीं से तू साथ में शिविर के लिए चलना। | |||
मां माथेरान आरही हैं। मैंने तो उनसे कहा नहीं था। जरूर ही तेरी ही इच्छा का बल है। | |||
माणिक बाबू को प्रेम। बच्चों को आशीष। अब तो तुझसे मिलने में कुछ ही घङियों की देर है। | |||
रजनीश के प्रणाम | |||
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Revision as of 06:41, 8 March 2020
Letter written to Ma Yoga Sohan on 16 Oct 1966 in the evening. It is unknown if it has been published or not.
आचार्य रजनीश 115, Napier Town, Yogesh Bhavan, Jabalpur (M.P.) १६/१०/१९६६ प्यारी सोहन, मेरा स्वास्थ्य ठीक है। थोड़ी सी सर्दी होगई थी और उसका ही प्रचार होगया। और ,प्रचार की तो बड़ी महिमा है न ? पूना अभी नहीं आ पा रहा हूँ, इससे मैं भी उदास हूँ। नवम्बर में २२, २३, २४ बम्बई में महिलाओं का शिविर है। उसके पूर्व दो दिन के लिए पूना आऊँगा। वहीं से तू साथ में शिविर के लिए चलना। मां माथेरान आरही हैं। मैंने तो उनसे कहा नहीं था। जरूर ही तेरी ही इच्छा का बल है। माणिक बाबू को प्रेम। बच्चों को आशीष। अब तो तुझसे मिलने में कुछ ही घङियों की देर है। रजनीश के प्रणाम |
- See also
- Letters to Sohan ~ 081 - The event of this letter.
- Letters to Sohan and Manik - Overview page of these letters.