Letter written on 20 Feb 1971 (KSaraswati)
Letter written to Sw Krishna Saraswati on 20 Feb 1971. It is unknown if it has been published or not.
Acharya Rajneesh kamala nehru nagar : jabalpur (m.p.). phone: 2957 प्रिय कृष्ण सरस्वती, गृहपति ने उसकी ओर देखे बिना ही कहाः "क्षमा करें -- किंतु घर में कोई है नहीं ।" फकीर हंसा और बोलाः " लेकिन, मैं किसी को कहां मांगता हूँ -- मैं तो सिर्फ भोजन ही मांगता हूँ ! " इस बार गृहपति ने चौंककर फकीर की ओर देखा। लेकिन फिर भी कहाः " मैं समझा -- पर भोजन देने के लिए ही तो कोई आदमी घर में नहीं है ?" फकीर पुनः हंसा और बोलाः " महानुभाव ! आदमी घर में नहीं है?--फिर आप कौन है ?--आदमी नहीं ? गृहपति उठा और भोजन लेकर आया। पर फकीर ने भोजन लेने से इंकार कर दिया और कहाः " मैं भलीभांति समझ गया था कि भोजन आपको नहीं देना है पर यही बात में आपसे सीधी-सीधी सुनना चाहता था ! " आदमी ऐसा ही जीता है -- तिरछा-तिरछा। जो कहता है -- वही नहीं कहता यद्मपि उसे ही और और तरह से कहना चाहता है। जो करना है -- वही नहीं करता यद्मपि उसे ही पीछे के मार्गों से करना पड़ता है। जो होता है -- वही नहीं होता है यद्मपि उसके अतिरिक्त और कुछ हो नहीं सकता है। रजनीश के प्रणाम २०/२/२०२० |
- See also
- Letters to Sw Krishna Saraswati ~ 04 - The event of this letter.