Letter written on 24 Apr 1965 om: Difference between revisions
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दोपहरः<br> | |||
२४/४/१९६५ | |||
प्रिय सोहन,<br> | |||
पत्र मिला है। मैं तो जिस दिन से आया हूँ, उसी दिन से प्रतीक्षा करता था। पर, प्रतीक्षा भी कितनी मीठी होती है ! | |||
जीवन स्वयं ही एक प्रतीक्षा है। | |||
बीज अंकुरित होने की प्रतीक्षा करते हैं और सरितायें सागर होने की। मनुष्य किसकी प्रतीक्षा करता है ?वह भी तो किसी वृक्ष के लिए बीज है और किसी सागर के लिए सरिता है। | |||
कोई भी जब स्वयं के भीतर झांकता है, तो पाता है कि किसी असीम और अनंत में पहुंचने की प्यास ही उसकी आत्मा है। | |||
और,जो इस आत्मा को पहचानता है, उसके चरण परमात्मा की दिशा में उठने प्रारंभ होजाते हैं: क्योंकि प्यास का बोध आजावे और हम जल स्त्रोत की ओर न चलें, यह कैसे संभव है ? | |||
यह कभी नहीं हुआ है और न ही कभी होगा। जहां प्यास है, वहां प्राप्ति की तलाश भी है | |||
मैं इस प्यास के प्रति ही प्रत्येक को जगाना चाहता हूँ, और प्रत्येक के जीवन को प्रतिक्षा में बदलना चाहता हूँ। | |||
प्रभु की प्रतीक्षा में परिणित होगया जीवन ही सद् जीवन है। जीवन के शेष सब उपयोग अपव्यय हैं और अनर्थ हैं। | |||
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माणिक बाबू को प्रेम। | |||
रजनीश के प्रणाम | |||
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पुनश्चः मैं ६ मई की सुबह ९ बजे उदयपुर पहुँच रहा हूँ। क्या तू और माणिक बाबू मुझे स्टेशन पर मिलेंगे ? मैं प्रतीक्षा करूँ ? या कि तू थोड़ी देर से पहुंचेगी ? ६ मई की संध्या तक तो एकलिंग जी पहुँच ही जाना है। संभव होसके तो मुझे स्टेशन ही मिल। उदयपुर का मेरा पता निम्न है : श्री हीरालाल जी कोठारी,<br> | |||
बांसड़ावाली पोल,<br> | |||
उदयपुर (राजस्थान)<br> | |||
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फोन नं. ४६५ (465) | |||
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;Partial translation | |||
:"PS: I am reaching Udaipur at 9 o’clock morning of 6th May. Whether you and Manik Babu would meet me at the station? Shall I wait? Or you may be reaching little later. We must reach at Eklingji (21 KM from Udaipur) by the evening of 6th May. If it’s possible do meet me at the station (Udaipur). My address at Udaipur is as follows: | |||
:Shree Hiralal Ji Kothari, | |||
:Bansdawali Pol, | |||
:Udaipur (Rajasthan) | |||
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:[[Prem Ke Phool ~ 011]] - The event of this letter. | :[[Prem Ke Phool ~ 011]] - The event of this letter. | ||
:[[Letters to Sohan and Manik]] - Overview page of these letters. | |||
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Letter written to Ma Yoga Sohan on 24 Apr 1965 in the afternoon. It has been published in Prem Ke Phool (प्रेम के फूल) as letter #11. PS is missing in the book.
दोपहरः जीवन स्वयं ही एक प्रतीक्षा है। बीज अंकुरित होने की प्रतीक्षा करते हैं और सरितायें सागर होने की। मनुष्य किसकी प्रतीक्षा करता है ?वह भी तो किसी वृक्ष के लिए बीज है और किसी सागर के लिए सरिता है। कोई भी जब स्वयं के भीतर झांकता है, तो पाता है कि किसी असीम और अनंत में पहुंचने की प्यास ही उसकी आत्मा है। और,जो इस आत्मा को पहचानता है, उसके चरण परमात्मा की दिशा में उठने प्रारंभ होजाते हैं: क्योंकि प्यास का बोध आजावे और हम जल स्त्रोत की ओर न चलें, यह कैसे संभव है ? यह कभी नहीं हुआ है और न ही कभी होगा। जहां प्यास है, वहां प्राप्ति की तलाश भी है मैं इस प्यास के प्रति ही प्रत्येक को जगाना चाहता हूँ, और प्रत्येक के जीवन को प्रतिक्षा में बदलना चाहता हूँ। प्रभु की प्रतीक्षा में परिणित होगया जीवन ही सद् जीवन है। जीवन के शेष सब उपयोग अपव्यय हैं और अनर्थ हैं।
माणिक बाबू को प्रेम। रजनीश के प्रणाम पुनश्चः मैं ६ मई की सुबह ९ बजे उदयपुर पहुँच रहा हूँ। क्या तू और माणिक बाबू मुझे स्टेशन पर मिलेंगे ? मैं प्रतीक्षा करूँ ? या कि तू थोड़ी देर से पहुंचेगी ? ६ मई की संध्या तक तो एकलिंग जी पहुँच ही जाना है। संभव होसके तो मुझे स्टेशन ही मिल। उदयपुर का मेरा पता निम्न है : श्री हीरालाल जी कोठारी, |
- Partial translation
- "PS: I am reaching Udaipur at 9 o’clock morning of 6th May. Whether you and Manik Babu would meet me at the station? Shall I wait? Or you may be reaching little later. We must reach at Eklingji (21 KM from Udaipur) by the evening of 6th May. If it’s possible do meet me at the station (Udaipur). My address at Udaipur is as follows:
- Shree Hiralal Ji Kothari,
- Bansdawali Pol,
- Udaipur (Rajasthan)
- _____________
- Phone No. ४६५ (465)"
- See also
- Prem Ke Phool ~ 011 - The event of this letter.
- Letters to Sohan and Manik - Overview page of these letters.