Letter written on 31 Jan 1967

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Letter written to Ma Yoga Sohan on 31 Jan 1967. It is unknown if it has been published or not.

Acharya Rajnish

115, Napier Town, Yogesh Bhavan, Jabalpur (M.P.)

प्यारी सोहन,
तेरा पत्र। और कल संध्या विवाह का आमंत्रण भी मिला ! लगता है कि कहीं मैं बारात में आकर सम्मिलित न होजाउँ, इसलिए इतनी देर से आमंत्रण भेजा है ! आजकल आमंत्रण देर से ही भेजे जाते हैं ! लेकिन, अच्छा ही किया। जल्दी आता तो मैं आने ही वाला था ! अब तो बस कल्पना ही कर सकता हूँ कि तू बारात के आनंद लेरही होगी और मैं यहीँ बैठा हूँ ! माणिक बाबू के क्या हाल है ? तुझे तो आनंद आ रहा होगा, मुसीबत तो उनकी होरही होगी ! वैसे इससे भी तेरे आनंद में तो बढ़ती ही होगी। पति की मुसीबत से ज्यादा पत्नि के लिए और आनंद ही क्या है ?

वहां सबको मेरे प्रणाम कहना।

रजनीश के प्रणाम

३१/१/१९६७


पुनश्चः
मौनू ने अकलेक के लिए पत्र लिखा है। तेरे उत्तर की प्रतीक्षा है। तेरा उत्तर मिलते ही उसे पूना भेज देंगे।


See also
Letters to Sohan ~ 085 - The event of this letter.
Letters to Sohan and Manik - Overview page of these letters.