Letter written on 6 Jul 1966: Difference between revisions

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Letter written to [[Ma Yoga Sohan]] on 6 Jul 1966. It is unknown if it has been published or not.


Letter written to [[Ma Yoga Sohan]] on 6 Jul 1966. It is unknown if it has been published or not. We are awaiting a transcription and translation.
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Acharya Rajnish
 
प्यारी सोहन,<br>
प्रेम। तेरा पत्र ! और तेरे शब्द ! मैं उनपर मोहित होजाता हूँ। इधर बहुत व्यस्त था, इसलिए नहीं लिख सका। फिर भी रात्रि सोते समय ह्रदय से तो जो तुझसे कहना होता है, वह कह ही देता हूँ। क्या तू नहीं सुनती है ? मैं जानता हूँ कि तू सुनती होगी और रोती होगी। तेरे जैसे निर्दोष आंसू और किसके पास हैं ?
 
माणिक बाबू को प्रेम। बच्चों को आशीष।
 
संभवतः जल्दी ही यशा विदेश जारही है। चाहता था कि उसे छोड़ने आऊँ। लेकिन नहीं आसकुंगा। तू तो जायेगी ही। न भी जाती हो तो मेरी ओर से चली जाना और विदा में मेरी ओर से उसका माथा चूमकर विदाई दे देना।
 
रजनीश के प्रणाम
 
६/७/१९६६
 
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Jeevan Jagruti Kendra, 115, Napiar Town, Jabalpur (M.P.)
 
 
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Revision as of 07:26, 6 March 2020

Letter written to Ma Yoga Sohan on 6 Jul 1966. It is unknown if it has been published or not.

Acharya Rajnish

प्यारी सोहन,
प्रेम। तेरा पत्र ! और तेरे शब्द ! मैं उनपर मोहित होजाता हूँ। इधर बहुत व्यस्त था, इसलिए नहीं लिख सका। फिर भी रात्रि सोते समय ह्रदय से तो जो तुझसे कहना होता है, वह कह ही देता हूँ। क्या तू नहीं सुनती है ? मैं जानता हूँ कि तू सुनती होगी और रोती होगी। तेरे जैसे निर्दोष आंसू और किसके पास हैं ?

माणिक बाबू को प्रेम। बच्चों को आशीष।

संभवतः जल्दी ही यशा विदेश जारही है। चाहता था कि उसे छोड़ने आऊँ। लेकिन नहीं आसकुंगा। तू तो जायेगी ही। न भी जाती हो तो मेरी ओर से चली जाना और विदा में मेरी ओर से उसका माथा चूमकर विदाई दे देना।

रजनीश के प्रणाम

६/७/१९६६

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Jeevan Jagruti Kendra, 115, Napiar Town, Jabalpur (M.P.)



See also
Letters to Sohan ~ 069 - The event of this letter.
Letters to Sohan and Manik - Overview page of these letters.