Letter written on 9 Jun 1965 om

From The Sannyas Wiki
Jump to navigation Jump to search
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

Letter written to Ma Yoga Sohan on 9 Jun 1965 in the afternoon. It has been published in Prem Ke Phool (प्रेम के फूल) as letter #3.

सोहन,
प्रिय ! तेरा पत्र मिला है। और, चित्र भी। उसे देखता हूँ -- तू कितनी सरल और निर्दोष मालुम होरही है ? पूजा और प्रेम का कैसा पवित्र भाव उसमें प्रगट हुआ है ? ह्रदय प्रेम से पवित्र हो जाता है और मंदिर बन जाता है। इसे तेरे चित्र में प्रत्यक्ष ही देख रहा हूँ। प्रभु इस निर्दोष सरलता को निरंतर बढ़ाता चले यही मेरी प्रार्थना है।

२००० वर्ष पहले क्राइस्ट से किसीने पूछा था ; ' प्रभु के राज्य में प्रवेश के अधिकारी कौन होंगे ? ' उन्होंने एक बालक की ओर इशारा करके कहा था ! ' जिनके ह्रदय बालकों की भांति सरल हैं। '

और आज तेरे चित्र को देखते देखते मुझे यह घटना अनायास हो याद होआई है।

xxx

माणिक बाबू को प्रेम। बच्चों को आशीष।

रजनीश के प्रणाम

दोपहरः ९/६/१९६५

See also
Prem Ke Phool ~ 003 - The event of this letter.
Letters to Sohan and Manik - Overview page of these letters.