Revision as of 11:11, 6 May 2022 by Dhyanantar(talk | contribs)(Created page with "Letter written to Shree Ajit Kumar Jain (Sw Prem Akshat), Jabalpur, editor of ''Yukrand (युक्रांद)'' magazine, on 9 September 1969. {| class = "wikita...")
प्रिय अजित,
स्नेह। तुम्हारा पत्र पाकर अति आनंदित हूँ।
यह मुझे ज्ञान न था कि मुझसे भी तुम्हारे ‘व्यापारिक संबंध’ थे।
व्यापार और संबंध विरोधी शब्द हैं।
उन्हें तुमने तोड़ दिया तो अच्छा ही किया क्योंकि अब ‘संबंध’ हो सकते हैं।
तुम्हारे निर्णय से मैं बहुत खुश हूँ।
आज तो मैं प्रवास पर हूँ। पूना-बंबई-दिल्ली-श्रीनगर-और जबलपुर लौटूंगा 6 अक्टूबर को। 7 अक्टूबर को [ed.: शब्द अस्पष्ट] पोलिटेक्नीकल कॉलेज में बोल रहा हूँ और 8 अक्टूबर रोटरी में। इसलिए तुम्हारी बैठक 9 अक्टूबर की रात्रि 8.30 बजे रख लो।
शेष शुभ।
मित्रों को मेरे प्रणाम।