Main Kyon Aaya Tha (मैं क्यों आया था): Difference between revisions
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description = यूँ तो ओशो को वर्षों से पढ़ा व ना सुजा रहा है पर समझा कितना गया है, येसोचने वाली बात है। ओशो क्यों आये तथा इस जगत के लिए क्या कर गएऔर क्या कह गए, उन्हें सही अर्थों में जानना व समझना अभी भी शेष है। यहपुस्तक ओशो की सच्ची और वास्तविक छवि के साथ- साथ अध्यात्म जगत मेंउनके दिए गए योगदान को भी बखूबी स्पष्ट करती है। पुस्तक के अंतिम खंड में शशिकांत नेओशो को एक 'संक्रामक रोग' कहकर संबोधित किया है तथा यह भी कहा हैकि 'ओशो समझने के लिए नहीं हैं', पर जिन अर्थों में कहा है वह उल्लेखनीय हैतथा पाठक में पढने की जिज्ञासा पैदा करते हैं। कुल मिलकर कहा जा सकताहै कि ओशो को जानने, समझने व जन- जन तक पहुँचाने के उद्देश्य से रचीगयी यह पुस्तक वास्तव में सराहनीय है। | | description = यूँ तो ओशो को वर्षों से पढ़ा व ना सुजा रहा है पर समझा कितना गया है, येसोचने वाली बात है। ओशो क्यों आये तथा इस जगत के लिए क्या कर गएऔर क्या कह गए, उन्हें सही अर्थों में जानना व समझना अभी भी शेष है। यहपुस्तक ओशो की सच्ची और वास्तविक छवि के साथ- साथ अध्यात्म जगत मेंउनके दिए गए योगदान को भी बखूबी स्पष्ट करती है। पुस्तक के अंतिम खंड में शशिकांत नेओशो को एक 'संक्रामक रोग' कहकर संबोधित किया है तथा यह भी कहा हैकि 'ओशो समझने के लिए नहीं हैं', पर जिन अर्थों में कहा है वह उल्लेखनीय हैतथा पाठक में पढने की जिज्ञासा पैदा करते हैं। कुल मिलकर कहा जा सकताहै कि ओशो को जानने, समझने व जन- जन तक पहुँचाने के उद्देश्य से रचीगयी यह पुस्तक वास्तव में सराहनीय है। | | ||
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मैं क्यों आया था - Main Kyon Aaya Tha (Why Did I Come)
- यूँ तो ओशो को वर्षों से पढ़ा व ना सुजा रहा है पर समझा कितना गया है, येसोचने वाली बात है। ओशो क्यों आये तथा इस जगत के लिए क्या कर गएऔर क्या कह गए, उन्हें सही अर्थों में जानना व समझना अभी भी शेष है। यहपुस्तक ओशो की सच्ची और वास्तविक छवि के साथ- साथ अध्यात्म जगत मेंउनके दिए गए योगदान को भी बखूबी स्पष्ट करती है। पुस्तक के अंतिम खंड में शशिकांत नेओशो को एक 'संक्रामक रोग' कहकर संबोधित किया है तथा यह भी कहा हैकि 'ओशो समझने के लिए नहीं हैं', पर जिन अर्थों में कहा है वह उल्लेखनीय हैतथा पाठक में पढने की जिज्ञासा पैदा करते हैं। कुल मिलकर कहा जा सकताहै कि ओशो को जानने, समझने व जन- जन तक पहुँचाने के उद्देश्य से रचीगयी यह पुस्तक वास्तव में सराहनीय है।
- author
- Shashikant Sadaiv
- language
- Hindi
- notes
editions
मैं क्यों आया थाक्या कह गए और क्या कर गए ओशो
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