Maine Ram Ratan Dhan Payo (मैंने राम रतन धन पायो)
- आओ प्रेम की एक झील में नौका-विहार करें। और ऐसी झील मनुष्य के इतिहास में दूसरी नहीं है, जैसी झील मीरा है। मानसरोवर भी उतना स्वच्छ नहीं। और हंसों की ही गति हो सकेगी मीरा की इस झील में। हंस बनो, तो ही उतर सकोगे इस झील में। हंस न बने तो न उतर पाओगे।
- हंस बनने का अर्थ है: मोतियों की पहचान आंख में हो, मोती की आकांक्षा हृदय में हो। हंसा तो मोती चुगे!
- कुछ और से राजी मत हो जाना। क्षुद्र से जो राजी हो गया, वह विराट को पाने में असमर्थ हो जाता है। नदी-नालों का पानी पीने से जो तृप्त हो गया, वह मानसरोवरों तक नहीं पहुंच पाता; जरूरत ही नहीं रह जाती।
- मीरा की इस झील में तुम्हें निमंत्रण देता हूं। मीरा नाव बन सकती है। मीरा के शब्द तुम्हें डूबने से बचा सकते हैं। उनके सहारे पर उस पार जा सकते हो।
- notes
- This book is the first of two on Meera, the 16th c celebrated arch-devotee of Krishna, and composer of some 1300 bhajans. Talks for the second book were given a month later. Collectively the two series are often called Pad Ghunghroo Bandh. See discussion for more on this and a TOC.
- A part has been translated in ch.9 of Early Talks.
- Later published as ch.1-10 of Pad Ghunghru Bandh (पद घुंघरू बांध) (20 talks).
- time period of Osho's original talks/writings
- from Oct 1, 1977 to Oct 10, 1977 : timeline
- number of discourses/chapters
- 10
editions
Maine Ram Ratan Dhan Payo (मैंने राम रतन धन पायो)मीरा-वाणी
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Maine Ram Ratan Dhan Payo (मैंने राम रतन धन पायो)Meera Diwani Par Charcha Suhani (मीरा दीवानी पर चर्चा सुहानी)
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Maine Ram Ratan Dhan Payo (मैंने राम रतन धन पायो)
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